Categories
विविधा

  अब दिल्ली की बारी !

पुण्‍य प्रसून वाजपेयी सपने जगाने वाली सियासत से बचायेगा कौन ? सपने विकास के जागे रुबरु गोडसे से लेकर धर्मांतरण से होना पड़ा। सपने भ्रष्टाचार और बाप बेटे की सरकार के खिलाफ जागे रुबरु घोटले की जांच में फंसे रघुवर दास और उमर अब्दुल्ला तक से होना पड़ रहा है। सपने दामाद के खिलाफ जागे […]

Exit mobile version