भारत बनाम इण्डिया जिस प्रकार अंग्रेजों के आगमन से सदियों वर्ष पूर्व से इस देश को इंडिया कहा जाता था, उसी प्रकार मुस्लिमों के आगमन से सदियों पूर्व इसे हिंद भी कहा जाता था। हजरत मोहम्मद साहब से 1700 वर्ष पूर्व हुए प्रसिद्घ कवि ‘लबि बिन अखताब’ की कविताओं का सम्मेलन अब्बासी खलीफा हारून रशीद […]
टैग: #अपव्यय
इन सारी विकृतियों से मुक्त समाज ‘आर्य समाज’ ही होगा। उसे चाहे आप जो नाम दे लें। किंंतु वह समाज वास्तव में मानव समाज कहलाएगा। जिसकी ओर बढऩे के लिए हमको वेद ने आदेशित करते हुए कहा कि-‘मनुर्भव:’ अर्थात मनुष्य बन। श्रेष्ठ मानव समाज और कर्म और विज्ञान के समुच्चय में विश्वास रखने वाले मानव […]
जब तक ये तथ्य हमारे सामने नहीं लाये जाएंगे-तब तक हमारे भीतर इस शब्द को अपनाने में हीन भाव बना रहेगा। वस्तुत: हिन्दू एक चुनौती का नाम है, जिसका पर्याय काला, काफिर आदि हो ही नहीं सकते। यह चुनौती वही है जो मध्यकाल में हमारे पूर्वजों द्वारा विदेशी मुस्लिम आक्रांताओं को दी जाती रही, और […]
आर्य ईश्वर पुत्र है। इस प्रकार आर्यत्व एक जीवनशैली है जो जीवन को उत्कृष्टता में ढालती है। उसमें नियमबद्घता, क्रमबद्घता, शुचिता, परोपकारिता, उद्यमशीलता आदि के भाव जागृत कर उसे उच्चता प्रदान करती है। इसीलिए ‘कल्पद्रुम’ में आर्य शब्द का अर्थ पूज्य, श्रेष्ठ, धार्मिक, उदार, कल्याणकारी और पुरूषार्थी कहा है तथा निरूक्त में-‘श्रेष्ठ सज्जन साधव:’ कहकर […]
निजी सुरक्षा के नाम पर अर्थशक्ति का अपव्यय, भाग-4 सेना में मुस्लिमों को आरक्षण देश की सुरक्षा व्यवस्था से खिलवाड़ करते हुए अब देश की सशस्त्र सेनाओं में मुस्लिमों को आरक्षण दिया जा रहा है। इसका परिणाम क्या होगा? भविष्य में पाकिस्तान से यदि भारत का युद्घ हुआ तो वही आशंका रहेगी कि जो राजा […]
हम यह मानते हैं कि शासक वर्ग के लिए सुरक्षा की आवश्यकता होती है। उसके उत्तरदायित्वों के अनुसार समाज में उसके शत्रु भी होते हैं। राजकीय कार्यों में विघ्न डालने वाले भी होते हैं, इसलिए शासन को उसकी सुरक्षा का पूर्ण दायित्व लेना अपेक्षित है। किंतु ऐसा कहना अद्र्घसत्य ही है-पूर्णसत्य नहीं। इस अद्र्घसत्य को […]
सुरक्षा बनाम विकासवाद एक दो हजार की जनसंख्या वाले गांव के लिए एक योजना में एक अस्पताल, एक प्राथमिक विद्यालय, एक पानी की टंकी, बिजली की व्यवस्था करने और अन्य विकास कार्य करने पर यदि एक करोड़ रूपया भी व्यय हो तो अकेले उत्तर प्रदेश में एक वर्ष के अंदर 200 गांवों का उद्घार तो […]
भारत के आधुनिक राजनेता जो किसी नरेश से कम नहीं हैं, जब राजमहलों से बाहर निकलते हैं तो उनके मिजाज, नाज और साज सब अलग प्रकार के होते हैं। गाडिय़ों का लंबा चौड़ा काफिला, पुलिस की व्यवस्था, सरकारी मशीनरी का भारी दुरूपयोग, निजी सुरक्षा कर्मी, कुछ गाडिय़ों में भरा हुआ मंत्रिमंडल (नित्य साथ रहने वाले […]