तेरी कोमल काया के नही, चिन्ह दृष्टि कहीं आएंगे।पंचभूतों में पंचभूत, ये सारे ही मिल जाएंगे। पृथ्वी की उर्वरा शक्ति को, तेरे अवशेष बढ़ाएंगे।हरी-हरी फिर घास जमेगी, जिसे पशु चर जाएंगे। ध्यान कर उस हश्र का, जो अंतिम पल पर होवेगा।यदि सुरभि है तेरे अंदर, तभी जहां तुझे रोवेगा। बागबां है ये जहां, और कली […]