अशोक प्रवृद्ध पुरातन भारतीय साहित्य में नाग शब्द का सर्प और हस्ती दोनों अर्थों में बहुतायत से प्रयोग हुआ है । नग पर्वत को कहा जाता है । लेकिन वेद में नाग या नग शब्द का उल्लेख नहीं मिलता । ब्राह्मण ग्रन्थों में भी नाग शब्द का प्रयोग एकाध स्थान पर ही उपलब्ध है । […]
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मनमोहन सिंह आर्य मनुष्य की आत्मा के अल्पज्ञ होने के कारण इसके साथ अविद्या अनादि काल से जुड़ी हुई है। इसका एक कारण जीवात्मा का एकदेशी, ससीम, राग-द्वेष व जन्म-मरणधर्मा आदि होना भी है। ईश्वर सर्वव्यापक, निराकार, सर्वान्तर्यामी एवं सर्वज्ञ है। सर्वज्ञ का तात्पर्य है कि वह जानने योग्य सब कुछ जानता है। वह जीवों […]