भारत का संविधान कानून के समक्ष समानता की बात कहता है। यदि भारतीय संविधान पर एक समीक्षात्मक दृष्टिपात किया जाए तो यह संविधान अपने मौलिक स्वरूप में सामंती परम्परा और उसके प्रतीकों को जारी रखने का विरोधी है और यह नहीं चाहता कि समाज में कोई ऐसा वर्ग या समुदाय पनपे या विकसित हो जो […]