सुरेश कुमार जो हमारी संस्कृति को सहेजते हैं उन्हें हम कितना सम्मान देते हैं, कितना सस्ता समझते हैं और जो सिर्फ सीडी सुनाकर चलते बनते हैं, उनके लिए पलक पांवड़े बिछाते हैं। हैं तो ये भी कलाकार ही, फिर ये अपने ही घर में घर की मुर्गी दाल बराबर क्यों समझे जाते हैंज्समाचारों में ही […]
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