डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री अर्थवादी यह समझते हैं कि ज्यादा भोग से ही ही सुख मिलता है, परंतु दीनदयाल जी ने उदाहरण देकर कहा कि सुख मन की स्थिति पर निर्भर करता है। इसलिए विकास की समग्र अवधारणा का समर्थन किया, जिसमें मन, बुद्धि और शरीर तीनों के विकास का समन्वय हो। आज जब भोगवादी […]