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विशेष संपादकीय

लोकतंत्र तेरी जय हो

विशेष सम्पादकीय :  महाभारत में आया है कि ऐसा राजा जो प्रजा की रक्षा करने में असमर्थ है और केवल जनता के धन को लूटना ही जिसका लक्ष्य होता है और जिसके पास कोई नेतृत्व करने वाला मंत्री नहीं होता वह राजा नहीं कलियुग है। समस्त प्रजा को चाहिए कि ऐसे निर्दयी राजा को बांध कर […]

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संपादकीय

महाभारत का एक श्लोक और हमारा संविधान

मनुष्य के लिए सबसे उत्तम संविधान क्या है? यह प्रश्न इस जगत के सृष्टा के हिरण्यगर्भ रूपी मानस में उस समय भी था जब कोई नही था और कोई था तो वह-“भूतस्य जात: पतिरेक आसीत” सभी भूतों (प्राणियों) का एक मात्र स्वामी ईश्वर था। तब उस ‘एक’ ने अपनी समस्त प्रजा के लिए (मानव मात्र […]

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