एस. सी. जैन अब हम देखें कि मनू द्वारा तैयार की गयी स्मृति और अंग्रेजों द्वारा तैयार की गयी स्मृति में जमीन आसमान का अंतर है। अंग्रेज द्वारा हमारे ग्रंथों व साहित्य में से कुछ वाक्य को निकाल कर रिकॉर्ड कर दिया जाता है कि भारत वासी गाय का मांस खाते हैं। यह सब बाहर […]
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एस. सी. जैन गतांक से आगे… अंग्रेज जो खगोलशास्त्री है, नक्षत्रशास्त्री है, उन्होंने इस बात को स्वीकार किया है कि भारत के सोम, मंगल, बुध को हमने लेकर संडे, मंडे, ट्यूज्डे कर दिया है। यह सब भारत से उधार लिया है। 10वीं शताब्दी में भारतीय वैज्ञानिकों ने यह प्रमाणित किया था कि पृथ्वी अपने कक्ष […]
नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी दोपहिया वाहन कंपनी हीरो मोटोकार्प ने मॉडलों का उत्पाद विकास वापस लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अभी तक कंपनी मॉडलों का उत्पाद विकास एरिक ब्यूएल रेसिंग (ईबीआर) के साथ कर रही थी जिसने हाल ही में दिवालियापन के लिए आवेदन किया है। हीरो मोटोकार्प और अमेरिका स्थित […]
संजय चाणक्य ‘‘ जिनके दिल में दर्द है दुनिया का, वही दुनिया मे जिन्दा रहते है! जो मिटाते है खुद को जीते जी, वही मरकर जिन्दा रहते है!!’’ अगर हम आपसे कहे कि भारत एक बार फिर गुलामी की ओर बढ़ रहा है, तो शायद आपकों कुछ अटपटा सा लगेगा। हो भी क्यों नही। क्योकि […]
राजा हरिश्चंद्र सच बोलने और वचन. पालन के लिए मशहूर थे। उनकी प्रसिद्धि चारों तरफ फैली थी। ऋषि विश्वामित्र ने राजा हरिश्चंद्र की प्रसिद्धि सुनी। वे स्वयं इसकी परीक्षा करना चाहते थे। क्या हरिश्चंद्र हर कठिनाई झेलकर भी वचन का पालन करेंगे? आओ देखें कि विश्वामित्र ने कैसी परीक्षा ली?, सतयुग में राजा हरिश्चंद्र नाम […]
श्रीराम तिवारी एक उत्साही युवा हार्दिक पटेल भी उन्ही सरदार पटेल की जाति -समाज के नाम पर गुजरात में कोहराम मचाने को आतुर है। पटेल -पाटीदार समाज के आरक्षण आंदोलन की अगुआई कर रहे हार्दिक पटेल का नारा है – “पटेलों-पाटीदारों को आरक्षण दो या आरक्षण को ही समाप्त करो ,वरना आइन्दा गुजरात में कमल […]
सुरेन्द्र नाथ गुप्ता भारत में सावन और बरसात एक दूसरे के पर्याय हो गये हैं और यहाँ के सामाजिक जीवन के मनोभावों की अभिव्यक्ति का माध्यम बन गये हैं। बरसात तो सारे विश्व में होती है परंतु सावन केवल भारत में ही आता है। संसार में कहीं तो नाम मात्र ही बरसात होती है, कहीं […]
ओमप्रकाश त्रेहन दीमक प्राय: दिखाई नही देती। केवल चुपचाप पेड़ को खोखला करती है। पता तब चलता है जब पेड़ अचानक गिरता है। यही काम हमारे देश में साम्यवादी अर्थात कम्युनिस्ट करते हैं। इनकी हिंदुओं के प्रति घृणा विश्वविख्यात है। फिर भी देश के लोग अनजाने में भोलेभाव से इन्हें स्वीकार कर लेते हें। जिन्होंने […]
महर्षि दयानंद का मत जिन लोगों ने विदेशियों का अंधानुकरण करते-करते स्वदेश और स्वदेशी की भावना को अपने लिए अपमानजनक समझकर उसे कोसना आरंभ किया, उन लोगों को देखकर महर्षि दयानंद सरस्वती जी महाराज को असीम पीड़ा हुआ करती थी। उन्होंने ‘सत्यार्थ प्रकाश’ समुल्लास-11 में लिखा है- ‘‘अपने देश की प्रशंसा वा पूर्वजों की बड़ाई […]
डा0 कुलदीप चन्द अग्निहोत्री कहा जाता है कि वीर सावरकर की अस्थियाँ अभी भी उनके वंशजों के पास सुरक्षित हैं । वे अपनी मृत्यु से पूर्व वसीयत कर गये थे कि उनकी अस्थियाँ सिन्धु नदी में तभी प्रवाहित की जायें जब भारत एक बार फिर से अखंड हो जाये । अखंड भारत का क्या अर्थ […]