भारत के नये राष्ट्रपति का चुनाव इन दिनों चर्चा में है। नये-नये नाम इस पद के लिए प्रत्याशी के लिए वैसे ही आ-जा रहे हैं, जैसे ऊपर से गिरते पानी में बुलबुले आते हैंं और समाप्त हो जाते हैं। बहुतों के मन में लड्डू फूट रहे हैं कि इस बार हो सकता है वही देश […]
टैग: #भारत
पश्चिमी देशों की मान्यता है कि यदि वीर्य के स्वाभाविक वेग को रोकने का प्रयास किया तो मानसिक व्याधियां जन्मेंगी। किंतु ऐसा होगा कब? इसे पश्चिमी देशों ने नही समझा। वस्तुत: ऐसा तभी होता है-जबकि वीर्य को रोक तो लिया जाए किंतु रोककर शरीर में खपाने की प्रक्रिया से मानव अनभिज्ञ रहे। यह अवस्था कुछ […]
भारत के चौदहवें राष्ट्रपति का चुनाव निकट है। हमें भाजपा की ओर से शीघ्र ही नये राष्ट्रपति का नाम मिलने वाला है। इसके लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अरूण जेटली, वैंकैया नायडू को नियुक्त कर दिया है। विपक्षी दलों से समन्वय स्थापित कर ये तीनों मंत्री अगले राष्ट्रपति […]
कश्मीर : तथ्य और सत्य जम्मू कश्मीर राज्य की भारत संघ में विशेष स्थिति है। यह एक पहाड़ी राज्य है। इसके कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 92 प्रतिशत भाग पहाड़ी है। यहां की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर है, तो शीतकालीन राजधानी जम्मू है। इस राज्य का कुल क्षेत्रफल (पाकिस्तान तथा चीन द्वारा कब्जाए गये क्षेत्रफल सहित) 2, […]
संतति निरोध की मूर्खतापूर्ण नीतियां अपनाने का षडय़ंत्र भारत में संतति निरोध की नीतियां भी पश्चिम के अंधानुकरण पर टिकी हैं। इस विषय को इससे जुड़ी हुई गुत्थ्यिों को हमारे राजनीतिज्ञों ने पश्चिमी दृष्टिकोण से ही देखा और समझा है। पश्चिमी दृष्टिकोण से बढक़र दुर्भाग्यपूर्ण है इस विषय पर इस्लामिक दृष्टिकोण को मान्यता देने की […]
भारत में किसानों की दुर्दशा बढ़ती ही जा रही है। उधर को देखने की फुर्सत किसी को नहीं है। इस दुर्दशा के मूल कारणों पर यदि विचार किया जाए तो जितनी परतें खुलती जाएंगी उतने ही बड़े चेहरों से नकाब उतरता जाएगा। 1947 के पश्चात से अब तक के वर्षों में ‘कब्र में दबे कई […]
खुले आकाश के नीचे मां की गोद में लेटे-लेटे जब कभी चंदा मामा दूर के, सुना करते थे तो लगा करता था कि यह चंदा मामा निकट के क्यों नहीं हो जाते? मामा का घर और वह भी इतनी दूर यह तो कोई बात नहीं हुई। समय ने करवट ली और जब थोड़े से बड़े […]
‘सोचने की बात यह है कि उनके कारनामे कितने घृणास्पद रहे होंगे, जबकि कंपनी के निदेशकों तक ने स्वीकार किया है कि भारत में व्यापार करके जो बड़ी से बड़ी संपत्ति पैदा की गयी उनमें उतना ही बड़ा अन्याय और जुल्म भरा हुआ है, जितना बड़ा जुल्म संसार के इतिहास में कहीं सुनने और पढऩे […]
सोचने की बात यह है कि उनके कारनामे कितने घृणास्पद रहे होंगे, जबकि कंपनी के निदेशकों तक ने स्वीकार किया है कि भारत में व्यापार करके जो बड़ी से बड़ी संपत्ति पैदा की गयी उनमें उतना ही बड़ा अन्याय और जुल्म भरा हुआ है, जितना बड़ा जुल्म संसार के इतिहास में कहीं सुनने और पढऩे […]
(50) कोच्चीन, त्रावणकोर- इन दोनों क्षेत्रों में मुस्लिम शासन एक दिन भी नहीं रहा। जबकि 1857 ई. से यहां अंग्रेजी राज्य अवश्य आ गया। इस प्रकार के परिश्रम साध्य विषय को समझकर और देखकर हमें ज्ञात होता है कि अंग्रेजों का भारत में विस्तार सामान्यता 1820 ई. से बाद का है। उसमें भी अधिकांश 1857 […]