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विशेष संपादकीय संपादकीय

किसानों का आक्रोश और प्रशासन की गोली

भारत में किसानों की दुर्दशा बढ़ती ही जा रही है। उधर को देखने की फुर्सत किसी को नहीं है। इस दुर्दशा के मूल कारणों पर यदि विचार किया जाए तो जितनी परतें खुलती जाएंगी उतने ही बड़े चेहरों से नकाब उतरता जाएगा। 1947 के पश्चात से अब तक के वर्षों में ‘कब्र में दबे कई […]

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संपादकीय

अंग्रेजी काल का ये पुलिस प्रशासन

स्वतंत्र भारत की पहली सरकार जब पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में अस्तित्व में आयी थी तो उसके लिए नौकरशाही वही कार्य कर रही थी जो 15 अगस्त 1947 तक अंग्रेजों के लिए कार्य करती रही थी। शासन प्रशासन में से प्रशासन वही था जो अंग्रेजों का था और शासन में वो लोग सत्तासीन हुए […]

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विशेष संपादकीय

प्रधानमंत्री जी, आवश्यकता है प्रशासन तंत्र को सक्रिय करने की

दिल्ली विधानसभा के चुनाव परिणाम चौंकाने वाले रहे हैं,  इन चुनाव परिणामों को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। इनसे स्पष्ट संकेत मिला है कि जनसमस्याओं का ढेर देश के हर क्षेत्र में बड़ी तेजी से बढ़ता जा रहा है। उनका समाधान प्रस्तुत करने में सरकारी तंत्र पूर्णत: निष्फल रहा है। इसलिए जनता मतदान करते […]

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