आज का युग विज्ञान का युग है। विज्ञान ने मनुष्य का जीवन जहां आसान व सुविधाओं से पूर्ण बनाया है वहां अनेक समस्यायें एवं सामाजिक विषमतायें आदि भी उत्पन्न हुई हैं। विज्ञान व ज्ञान से युक्त मनुष्यों से अपेक्षा की जाती है कि वह जिस बात को जितना जाने उतना कहें और जहां उनकी पहुंच […]
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जीवात्मा और इसका पुर्नजन्म
हम इस विस्तृत संसार के एक सदस्य है। चेतन प्राणी है। हमारा एक शरीर है जिसमें पांच ज्ञानेन्द्रियां, पांच कर्मेन्द्रियां, मन, बुद्धि, चित्त एवं अहंकार आदि अवयव हैं। शरीर से हम सुख व दुख का भोग करते हैं। हम चाहते हैं कि हमें कभी कोई दुख न हो परन्तु यदा-कदा जाने-अनजाने सुख व दु:ख आते […]
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मैं ब्रह्म नहीं अपितु एक जीवात्मा हूं
मैं कौन हूं? यह प्रश्न कभी न कभी हम सबके जीवन में उत्पन्न होता है। कुछ उत्तर न सूझने के कारण व अन्य विषयों में मन के व्यस्त हो जाने के कारण हम इसकी उपेक्षा कर विस्मृत कर देते हैं। हमें विद्यालयों में जो कुछ पढ़ाया जाता है, उसमें भी यह विषय व इससे सम्बन्धित […]