मुजफ्फर हुसैन गतांक से आगे……. मुंबई आज भी वह दिन भूली नही है जब इसका विरोध करते हुए तीस साल के एक युवक ने अपनी जान दे दी। सहसा ही मुंबई वासियों के बाबू गेनू की याद आ गयी, जो 25 साल का जवान था, जिसने विदेशी कपड़ों से भरे ट्रक को अपनी छाती से […]
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मुजफ्फर हुसैनगतांक से आगे…….भारत सरकार की नजरें विदेशी मुद्रा के लिए जब देश की मूल्यवान वस्तुओं की ओर जाने लगी, तब सबसे पहली नजर भारत के पशुधन पर पहुंची। तत्कालीन सरकारों को प्रशासन में बैठे कसाईयों ने एक ही सुझाव दिया कि मांस का निर्यात कर सरकार करोड़ों डॉलर कमा सकती है। तब से न […]
मुजफ्फर हुसैनगतांक से आगे…….बीसवीं शताब्दी में हमने एक चमत्कार देखा, जब महात्मा गांधी ने इस देश को सदियों की गुलामी से मुक्त करवाया। उनका मूल मंत्र अहिंसा ही था। वे शस्त्र का सहारा न लेकर केवल सत्य और अहिंसा को आधार बनाकर यह लड़ाई लड़े और सफल हो गये। लेकिन इतिहास इस बात से भी […]
मुजफ्फर हुसैनगतांक से आगे…….सन 1951 में एक हजार भारतीय पीछे 430 दुधारू पशु थे, 1961 में चार सौ, 1971 में 326 1971 में 278, 1991 में 202 और 2001 में उनकी संख्या मात्र 110 रह गयी। इस हिसाब से पशुओं का घटना जारी रहा तो 2011 में यह संख्या केवल बीस प्रतिशत रह गयी।जो भैंसे […]
मुजफ्फर हुसैन गतांक से आगे……. वास्तव में अधिकांश जनता इस आंदोलन को गंभीरता से लेती ही नही है। कुछ इसे सांप्रदायिक लोगों का आंदोलन मान बैठे हैं और कुछ मुट्ठी भर लोगों की सनक। लेकिन इसके परिणाम धीरे धीरे आने लगे हैं। यदि अब भी हमारे पशुधन पर लोगों ने अपनी चिंता नही जताई तो […]