प्रसिद्घ दार्शनिक सुकरात को शीशा देखने का बड़ा चाव था। नित्य की भांति वह उस दिन भी शीशा देख रहे थे, तो उन्हें शीशा देखते हुए उनके एक शिष्य ने देख लिया। शिष्य अपने कुरूप गुरू को शीशा देखते हुए देखकर मुस्कराने लगा। उसकी मुस्कुराहट ने दार्शनिक सुकरात को समझा दिया कि वह क्यों हंस […]