खेल की भावना से यदि कोई कार्य किया जाए तो उसे सबसे उत्तम माना जाता है। खेल में बच्चे गिरते हैं-चोट खाते हैं, जीतते और हारते हैं-पर खेल के मैदान से बाहर आते ही हाथ मिला लेते हैं। हार जीत के खट्टे मीठे अनुभवों को वहीं छोड़ देते हैं, और एक अच्छे भाव के साथ […]
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निजी अनुभवों की सांझ-8
ऐसा कब होता है? जब कत्र्तव्य बोध से लेाग च्युत हो जाते हैं और जब राष्ट्रबोध से लोग विमुख हो जाते हैं, तब ‘कमीशन’ और ‘पैसा’ कर्तव्य बोध और राष्ट्रबोध को भी लील जाता है। आज हमें यही ‘कमीशन’ और पैसा हमें लील रहा है। प्राकृतिक प्रकोप हमारी अपनी बदलती प्रकृति और प्रवृत्ति के परिणाम […]
लावारिस बना अरबों का खेल ढांचा
भूपिंदर सिंह वर्षों आधारभूत ढांचे का रोना रोने वाले खेल संघ आज कहां हैं? क्यों इस अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्ले फील्ड का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं? क्या खेल संघों की कुर्सी पर एक बार कब्जा जमा लेने के बाद फिर खेल की सुध लेने के फर्ज से ये मुक्त हो जाते हैंज् हिमाचल […]
प्रमोद भार्गव इस्लाम के बहाने अपने ही बच्चों को आतंकवादी बनाने में पाकिस्तान जुटा दिख रहा है। मुबंई हमलों के जिंदा बचे गुनहगार अजमल कसाब के बाद आतंकवादी मोहम्मद नावेद उर्फ कासिम खान का जिंदा पकड़ा जाना इस तथ्य का पुख्ता सबूत है। नावेद ने पुलिस को दिए बयान में कबूला भी है कि उसने […]