यह दुनिया विश्वास और अविश्वास के ध्रुवों के बीच चलायमान है। इसमें इंसान की स्थिति उस पेण्डुलम की तरह है जिसमें उसे खुद को यह भरोसा नहीं होता कि सही क्या है। किस पर विश्वास करे और किस पर नहीं। कुछ लोग विश्वास के सहारे जीते हैं, कुछ इससे भी […]
यह दुनिया विश्वास और अविश्वास के ध्रुवों के बीच चलायमान है। इसमें इंसान की स्थिति उस पेण्डुलम की तरह है जिसमें उसे खुद को यह भरोसा नहीं होता कि सही क्या है। किस पर विश्वास करे और किस पर नहीं। कुछ लोग विश्वास के सहारे जीते हैं, कुछ इससे भी […]