मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी में आजकल काफी गहरा विचार-मंथन चल रहा है। 1978 में जालंधर अधिवेशन में उसने जो रास्ता पकड़ा था, उसे अब वह छोड़ना चाहती है। वह रास्ता क्या था? वह रास्ता था, गैर-भाजपा दलों से गठबंधन करने का! भाजपा को वह घोर दक्षिणपंथी, सांप्रदायिक और संकीर्ण दल मानती थी, जबकि उसे कांग्रेस, समाजवादी […]
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