जलता हुआ प्रश्न एक ही, दिल्ली किसको बोल रही? रक्त चूसते भ्रष्टाचारी उनका घूंघट खोल रही। सपनों का महल जलाना राजनीति का व्यवसाय बना, कब तक इनसे जूझूंगी मैं? दिल्ली की माटी बोल रही। वास्तव में दिल्ली आज अपने आप पर लज्जित है। सवा दो वर्ष पूर्व दिल्ली ने जिन अपेक्षाओं के साथ अपनी शासन […]