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विश्व विनाश के कगार पर

वर्चस्व जमाना चाहते हैं, और तुझे भी मिटाना चाहते हैं।सुना था प्रभु प्रलय करने का, तेरा विशिष्ट अधिकार।लगता तुझसे भूल हुई, तू खो बैठा अधिकार। लगती होंगी अटपटी सी तुमको, मेरी ये सारी बातें।एटम की टेढ़ी नजर हुई, बीतेंगी प्रलय की रातें। निर्जनता का वास होगा, कौन किसको जानेगा?होगा न जीवित जन कोई, तब तुझको […]

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