==================== दीपावली पर्व शुद्ध रूप से सामाजिक एवं भौगोलिक पर्व है। इसको द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण पांडव कौरव सब मनाया करते थे। त्रेता युग में भगवान राम और राम के पूर्वज भी मनाया करते थे और इससे पहले भी सतयुग में भी उसको मनाया जाता था। 🌷 दीपावली का वास्तविक नाम है “शारदीय […]
महीना: नवम्बर 2024
-दयानन्द कादियान हरियाणा प्रदेश को अस्तित्व में आये 52 साल हो रहे हैं। बहुत से लोग अपने अपने नेता के नाम के आगे हरियाणा केसरी, हरियाणा का जन्मदाता तथा हरियाणा का निर्माता आदि विशेषणों का प्रयोग करते हैं। कुछेक बुजुर्गों को छोड़कर आज की युवा पीढ़ी के लोग कम ही जानते हैं कि वेदों की […]
ऋषि दयानंद ने भयंकर विपरीत परिस्थितियों मे सत्य का मण्डन और पाखंड का खंडन किया इसलिए सभी उनके विरोधी हो गये।उनके प्राण हरण की भयंकर चेष्टा की गई।जो उनके भरोसेमन्द थे वे सब निकम्मे निकले।पहले उनके साथ भरतपुर का कल्लू कहार जिस पर स्वामी जी बहुत भरोसा और उससे प्रेम करते थे ।वह छ: सात […]
========== महर्षि दयानन्द एक पौराणिक पिता व परिवार में गुजरात प्रान्त के मौरवी जनपद के टंकारा नामक ग्राम में 12 फरवरी, सन् 1825 को जन्में थे। उनके पिता शिव भक्त थे। उनके परिवार के सभी सदस्य भी पौराणिक आस्थाओं में विश्वास रखने वाले जन्मना ब्राह्मण थे। स्वामी दयानन्द का बचपन का नाम मूलजी व मूलशंकर […]
भारत भूमि का एक बड़ा हिस्सा वनों एवं जंगलों से आच्छादित है। भारतीय नागरिकों को प्रकृति का यह एक अनोखा उपहार माना जा सकता है। इन वनों एवं जंगलों की देखभाल मुख्य रूप से जनजाति समाज द्वारा की जाती रही है। जनजाति समाज की विकास यात्रा अपनी भूख मिटाने एवं अपने को सुरक्षित रखने के […]
रावण के राष्ट्र में नीति थी, धर्म नहीं था ।नीति भी अधर्म की नीति थी। यदि उसके साथ धर्म भी होता तो निश्चित था कि रावण की पताका संसार में सबसे ऊंची कहलाती। आज संसार में प्रत्येक मनुष्य यह कह देता है कि वह तो पाखंडी है, लेकिन पाखंड कहते किसको हैं ? इसको देखें […]
आज हम अपने महान इतिहास नायक सरदार वल्लभभाई पटेल जी की 149वीं जयंती मना रहे हैं। कृतज्ञ राष्ट्र उनके प्रति नतमस्तक है। अपने जीवन काल में उन्होंने देश की एकता और अखंडता के लिए जिस प्रकार महान कार्य किये उनके समक्ष उनका समकालीन कोई भी नेता कहीं दूर-दूर तक भी टिकता हुआ दिखाई नहीं देता। […]
ये क्या है…? एक ओर ‘असत्य की जीत होकर रहेगी, अन्याय की जीत हो कर रहेगी’ और उसके तुरंत बाद ‘बोलो सियापति राम चंद्र भगवान की जय’! इसका क्या अर्थ है? क्या भगवान श्री राम ने असत्य और अन्याय को जिताया था? क्या बजरंगबली अन्याय के साथ लड़े थे? क्या भगवान वाल्मिकी का महाकाव्य ‘रामायण’ […]
लेखक-पंडित धर्मदेव विद्यामार्तण्ड [Monotheism अंग्रेजी के इस शब्द से बहुत लोग एक असमंजस की स्थिति में हैं। इसका अर्थ है एकेश्वरवाद अर्थात ईश्वर एक है। पश्चिमी विचारकों ने वेदों को लेकर एक भ्रान्ति है कि वेदों में ईश्वर अनेक है अर्थात वेद बहुदेवतावाद का समर्थन करते है। उनकी दूसरी मान्यता यह है कि सेमेटिक मत […]
हमारी सम्पदा किन लक्षणों को धारण करे? अच्छी संगति अर्थात् सत्संग का क्या महत्त्व है? नूष्ठिरं मरुतो वीरवन्तमृृतीषाहं रयिमस्मासु धत्त। सहस्त्रिणं शतिनं शूशुवांसं प्रातर्मक्षू धियावसुर्जगम्यात््।। ऋग्वेद मन्त्र 1.64.15 (कुल मन्त्र 747) (नू) अब (स्थिरम्) स्थिर (मरुतः) प्राण, श्वास, श्वास का नियंत्रक (वीरवन्तम्) शक्तिशाली वीर (ऋतीषाहम्) विजय का दाता (रयिम्) सम्पदा (अस्मासु) हम में (धत्त) धारण […]