अंग्रेजी काल मे गुलामी व शोषण की एक श्रृंखला होती थी।अंग्रेजों के गुलाम देशी राजा और देशी राजाओं के गुलाम जागीरदार/सामंत।अंत मे सामंतों के गुलाम किसान-कामगार।शोषण की इस श्रृंखला में सबसे निचले पायदान वाला पिसता है क्योंकि ऊपर वाले सारे परजीवी बनकर मेहनतकशों की पूंजी लूटते है। 10मई 1914 को पटियाला में भैराराम सुंडा व […]
महीना: नवम्बर 2024
हाल ही में ब्रिक्स समूह के देशों का सम्मेलन रूस के कजान शहर में सम्पन्न हुआ। इस सम्मेलन में रूस ने भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का गर्मजोशी से स्वागत तो किया ही, साथ ही, चीन के राष्ट्रपति के साथ भी भारत के प्रधानमंत्री की द्विपक्षीय वार्ता सम्पन्न हुई। इस वार्ता में चीन ने भारत […]
सुहानी लूणकरणसर, राजस्थान इस माह के शुरू में राष्ट्रीय स्तर के एक समाचारपत्र ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट प्रकाशित करते हुए बताया है कि अब तक देश के 82.5 फीसदी परिवारों के पास शौचालय उपलब्ध है जबकि 2004-05 तक यह आंकड़ा मात्र 45 फीसदी था. इसका अर्थ है कि अब देश भर में […]
“यह असुर अपने स्वार्थपूर्ण अभिप्रायों को इस प्रकार उच्च सिद्धान्तों में लपेटकर लोगों के सामने पेश करते हैं कि लोग इन्हें ‘देव’ समझने लगते हैं।” ये रूपाणि प्रतिमुञ्चमानाऽ असुराः सन्तः स्वधया चरन्ति। परापुरो निपुरो ये भरन्त्यग्निष्टाँल्लोकात् प्रणुदात्यस्मात्।। -यजुः० २।३० ऋषिः – वामदेवः। देवता – अग्निः। छन्दः – भुरिक पङ्क्तिः। विनय – हे जगदीश्वर ! यहाँ […]
हमें अपने श्वास पर एकाग्र क्यों होना चाहिए? वायु के क्या गुण और शक्तियाँ हैं? श्वास पर पूरा नियंत्रण किस प्रकार सबके लिए लाभदायक है? घृृषुं पावकं वनिनं विचर्षणिं रुद्रस्य सूनुं हवसा गृणीमसि। रजस्तुरं तवसं मारुतं गणमृजीषिणं वृषणं सश्चत श्रिये।। ऋग्वेद मन्त्र 1.64.12 (कुल मन्त्र 744) (घृृषुम्) शत्रुओं का नाशक (पावकम्) पवित्र करने वाला (वनिनम्) […]
ईश्वर के अजन्मा होने के प्रमाण १. न जन्म लेने वाला (अजन्मा) परमेश्वर न टूटने वाले विचारों से पृथ्वी को धारण करता है। ऋग्वेद १/६७/३ २. एकपात अजन्मा परमेश्वर हमारे लिए कल्याणकारी होवे। ऋग्वेद ७/३५/१३ ३. अपने स्वरुप से उत्पन्न न होने वाला अजन्मा परमेश्वर गर्भस्थ जीवात्मा और सब के ह्रदय में विचरता है। यजुर्वेद […]
ईश्वरप्रणिधानाद्वा- योगदर्शन- 1.23 ईश्वर के प्रति दृढ़ विश्वास, प्रेम व समर्पण से समाधि शीघ्र लग जाती है। इसके लिए शब्द प्रमाण, अनुमान प्रमाण और ईश्वर द्वारा किए जा रहे बेजोड़ उपकारों का चिन्तन करते रहना आवश्यक है। तप:स्वाध्यायेश्वरप्रणिधानानि क्रियायोग: (योगदर्शन 2.1) तप, स्वाध्याय और ईश्वर प्रणिधान क्रिया योग है। ध्यानं निर्विषयं मन: (सांख्य दर्शन- 6.25) […]
शिवाजी के पश्चात उनके पुत्र संभाजी महाराज ने उनके उत्तराधिकारी के रूप में गद्दी संभाली। इतिहासकारों का मानना है कि संभाजी महाराज यद्यपि अपने पिता शिवाजी महाराज की भांति तो संघर्षशील और साहसी नहीं थे, परंतु फिर भी उन्होंने इतिहास में अपना विशिष्ट और महत्वपूर्ण स्थान बनाया। उन्होंने भी अपने पिता के पदचिन्हों पर चलने […]