हमारे जीवन में परमात्मा के क्या दृष्टिकोण हैं? अपने जीवन में परमात्मा के प्रभाव को किस प्रकार महसूस करें, विश्वास करें और उसकी अनुभूति प्राप्त करें? पुष्टिर्न रण्वा क्षितिर्न पृथ्वी गिरिर्न भुज्म क्षोदो न शंभु। अत्यो नाज्मन्त्सर्गप्रतक्तः सिन्धुर्न क्षोदः क ईं वराते।। ऋग्वेद मन्त्र 1.65.3 (कुल मन्त्र 750) (पुष्टिः न) पोषण की तरह, स्वास्थ्य (रण्वा) […]
महीना: नवम्बर 2024
=========== संसार में हम चेतन जीवात्माओं के अनेक योनियों में जन्मों को देखते हैं। मनुष्य जन्म में उत्पन्न दो जीवात्माओं की भी सुख व दुःख की अवस्थायें समान नहीं होती। मनुष्य योनि तथा पशु-पक्षी की सहस्रों जाति प्रजातियों में जीवात्मायें एक समान हैं जिनके सुख दुःख अलग-अलग हैं। इसका कोई तो कारण होगा? वैदिक धर्म […]
लेखक आर्य सागर तिलपता ग्रेटर नोएडा 🖋️ भारतीय समाज पर्व प्रधान है । प्रत्येक पर्व के केंद्र में महिलाएं और पुरुष होता है विशुद्ध ऐसा कोई भी पर्व नहीं है जो महिला प्रधान हो या पुरुष प्रधान हो। हरितालिका तीज करवा चौथ भाई दूज रक्षाबंधन जैसे पर्व में भी पुरुष चरित्र का प्रवेश हो जाता […]
सिख भी हिंदुओं का संहार और कत्लेआम चाहते हैं आचार्य श्रीहरि कनाडा में हिन्दू सभा मंदिर पर सिखों की हिंसा हुई, हमला हुआ, मंदिर को अपमानित करने का काम हुआ है, मंदिर में उपस्थित श्रद्धालुओं को निशाना बनाने की कोशिश हुई, कुछ श्रद्धालु हमले के शिकार भी हुए है, पुलिस खामोश थी, कनाडा की सरकार […]
जिस समय खालसा पंथ की स्थापना की गई थी, उस समय देश में मुगलों के अत्याचार अपने चरम पर थे। खालसा का अभिप्राय शुद्धता से है। इस शुद्धता का अभिप्राय था कि जिस इस्लाम के नाम पर मुगल बादशाह सनातन वैदिक धर्मी हिंदू समाज पर अत्याचार कर रहे थे, उससे शुद्ध पवित्र कोई नहीं था। […]
=========================== लेखक आर्य सागर तिलपता ग्रेटर नोएडा। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार घरेलू वायु प्रदूषण के कारण अकेले 2020 में ही 32 लाख से अधिक मौतें हुई है ।जिनमे कम आयु के 2 लाख 37 हजार बच्चे भी शामिल थे। मौतों का कारण ब्रेन स्ट्रोक, हृदयाघात, दमा ,निमोनिया, कैंसर जैसी बीमारियां रही । विश्व स्वास्थ्य […]
हमारा उदेश्य किसी की आस्था पर चोट करना और किसी का मजाक करना नहीं है , इसमें दिए हुए विडिओ की सत्यता की हम पुष्टि नहीं करते सभी लोग जानते हैं कि इस्लाम का कलमा तय्यब अल्लाह और रसूल पर ईमान रखने और इस्लामी सत्ता का प्रतिक है इसलिए सऊदी सरकार के झंडे और पाकिस्तान […]
बहुधा मनुष्य अन्य वस्तु को ईश्वर मान लेते हैं, और ईश्वर सदृश वस्तु को मान कर उसका गुणगान करते हैं । किसी वस्तु के स्थान पर, यदि हम किसी वस्तु को लाते हैं, तो लाई हुई वस्तु की सदृशता पूर्व वस्तु से होनी चाहिये । हमें अष्टाध्यायी में एक सूत्र पढ़ाया जाता है – “स्थानेsन्तरतमः […]
विनोद बंसल राष्ट्रीय प्रवक्ता – विहिप भारतीय चिंतन में संतों का सर्वोच्च स्थान है। जब कोई व्यक्ति अपने सांसारिक सुखों को त्याग कर आध्यात्मिक जगत के अन्वेषण में लग जाता है या यूं कहें लोक कल्याण के हेतु अपने सारे जीवन की सुख सुविधाएं छोड़, स्वयं को प्रभु को समर्पित कर देता है तब वह […]
=========== संसार में हम चेतन जीवात्माओं के अनेक योनियों में जन्मों को देखते हैं। मनुष्य जन्म में उत्पन्न दो जीवात्माओं की भी सुख व दुःख की अवस्थायें समान नहीं होती। मनुष्य योनि तथा पशु-पक्षी की सहस्रों जाति प्रजातियों में जीवात्मायें एक समान हैं जिनके सुख दुःख अलग-अलग हैं। इसका कोई तो कारण होगा? वैदिक धर्म […]