यह शरीर माटी का पुतला नही अपितु दिव्य-लोक का साधन है। इसमें छिपी प्रभु- प्रदत्त शक्तियों को पहचानो: – दिव्य- रथ है तन तेरा, धैर्य-शौर्य चक्र। आत्मज्ञान प्रदीप्त कर, काहे चले तू वक्र॥2732॥ भावार्थ : – प्रायः देखा गया है, कि इस संसार में कतिपय लोग इस मानव शरीर को ‘माटी का पुतला’ कहते है। […]
Month: November 2024
वेदमंत्रो के उपदेश
(यह लेख माला हम पंडित रघुनंदन शर्मा जी की पुस्तक वैदिक सम्पत्ति नामक से अपने सुधि पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं।) गतांक से आगे …. ऐसे आहार को आयों की परिभाषा में सात्त्विक आहार कहते हैं। सात्त्विक आहार का स्वरूप और प्रभाव वर्णन करते हुए भगवद्गीता में कृष्ण भगवान् कहते हैं कि- आयुः […]
#डॉविवेकआर्य आर्यसमाज मेरे लिए माता के सामान है और वैदिक धर्म मुझे पिता तुल्य प्यारा है- लाला लाजपत राय आज़ादी के महानायकों में लाला लाजपत राय का नाम ही देशवासियों में स्फूर्ति तथा प्रेरणा का संचार कराता है। अपने देश धर्म तथा संस्कृति के लिए उनमें जो प्रबल प्रेम तथा आदर था उसी के कारण […]
*सांख्य, सांप और केचुली*
————– लेखक आर्य सागर तिलपता ग्रेटर नोएडा 🖋️ धरती पर विचरण करने वाला प्रत्येक सांप चाहे वह विषैला हो या विषहीन, जंगली हो या पालतू अपनी केंचुली का त्याग अवश्य करता है। त्याग हमेशा ही सुखदायक होता है यह इस लेख के अंत तक स्पष्ट हो जाएगा। सांप अपनी केंचुली को त्यागता है। प्रथम हम […]
(पाखंड खंडन) जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी। गोस्वामी तुलसीदास की इस चौपाई का नाम लेकर एक हिन्दू नेता ने यह तर्क दिया कि आप चाहे साईं बाबा को पूजिये चाहे किसी अन्य को आपकी भावना प्रधान होनी चाहिए। आपको साईं बाबा को भगवान मानने में किसी को दिक्कत नहीं होनी चाहिए। […]
(गुरु नानक प्रकाशोत्सव पर विशेष रूप से प्रकाशित) #डॉविवेकआर्य गुरु नानक ने बाबर नामक राक्षस को भारत की प्रजा पर अकथनीय अत्याचार करते अपनी आँखों से देखा था। गुरु नानक ने इस अत्याचार से व्यथित होकर अपने मन की इच्छाओं को अपनी रचनाओं के माध्यम से प्रस्तुत किया था। यह रचनायें उस काल में देश […]
बिन्दुक्षणी मां का मन्दिर पाली
आचार्य डॉ राधेश्याम द्विवेदी वंश के रक्षक के रूप में :- कुलदेवी, किसी खास खानदान या कुल की आदि देवी होती हैं।कुलदेवी की पूजा उनके पिंडी या मूर्ति के रूप में की जाती है। वहीं, कुलदेवता को उस कुल के देवता के रूप में पूजा जाता है। कुलदेवी या कुलदेवता कुल या वंश के रक्षक […]
है धनियों से भी श्रेष्ठ धनी तू,
हे मानव ! बैठ अकेले में, चिंतन कर कुछ चिंतन कर, में कौन कहां से आया हूं ? मंथन कर कुछ मंथन कर।। आने से पहले जगती में, जो वचन दिया था ईश्वर को। वचन का सुमिरण कर प्यारे , क्यों मूर्ख बनाता है नर को ? यह देह अनमोल मिला तुझको, श्वासों का कोष […]
परमात्मा के ऊर्जा रूप की तुलना भिन्न-भिन्न वस्तुओं जीवों से किस प्रकार की जाती है? (2) परमात्मा के साथ अपनी सर्वमान्य संगति की चेतना को किस प्रकार बनाकर रखा जाये? दाधार क्षेममोको न रण्वो यवो न पक्वो जेता जनानाम। ऋषिर्न स्तुभ्वा विक्षु प्रशस्तो वाजी न प्रीतो वयो दधाति।। ऋग्वेद मन्त्र 1.66.2 (कुल मन्त्र 754) (दाधार) […]
(खतना का इतिहास ) इतिहास साक्षी है कि जब जब भी भारत ने पाकिस्तान से शांति समझौता या मैत्री करने का प्रयास किया है , पाकिस्तान ने भारत की पीठ में खंजर भोंक कर विश्वासघात ही किया है , क्योंकि विश्वासघात करना इस्लाम की पुरानी परंपरा है , इस बात को साबित करने के लिए […]