* 😱🙏 पुस्तकों में खोजबीन करने पर पता चला कि, ‘बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय’ (BHU) के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय ने 14 फरवरी 1931 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की फांसी रुकवाने के लिए लॉर्ड इरविन के समक्ष दया याचिका दायर की थी, साथ ही सजा कम करने के लिए भी कहा था। तब […]
Month: October 2024
गया , पुष्करादि तीर्थ विश्लेषण
Dr D K Garg गया तीर्थ :- प्रचलित मान्यताएं:फल्गु नदी के तीर पाषाण पर मनुष्य के पग का चिन्ह बना के उसका ‘विष्णुपद’ नाम रख दिया है l और यह बात प्रसिद्द कर दी है कि वहां श्राद्ध , पिंडदान करने से पितरों की मुक्ति हो जाती है l पितृपक्ष प्रारंभ होने के साथ ही […]
आचार्य डॉ. राधेश्याम द्विवेदी उत्तर भारत के अवध प्रान्त (उत्तर प्रदेश) के अयोध्या धाम से कुछ ही किमी की दूरी पर गोंडा नामक एक अत्यन्त पिछड़े जिले में यह पावन भूमि स्थित है। स्वामी नरायन छपिया, गोंडा जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूरी पर मनकापुर तहसील में पड़ता है। यहां स्वामी नरायन मंदिर प्रशासन यात्रियों […]
क्या है महिला सशक्तिकरण?
राकेश कुमार आर्य महिला सशक्तिकरण की बात समाज में रह रहकर उठती रही है। महिला सशक्तिकरण का अर्थ कुछ इस प्रकार लगाया जाता है कि जैसे महिलाओं को किसी वर्ग विशेषकर पुरूष वर्ग का सामना करने के लिए सुदृढ किया जा रहा है। भारतीय समाज में प्राचीनकाल से ही नारी को पुरूष के समान अधिकार […]
शिक्षकों की समाज निर्माण में भूमिका
विश्व शिक्षक दिवस- 5 अक्टूबर 2024 पर विशेष: ललित गर्ग- विश्व शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में मनाया जाता है। इस दिन आध्यापकों को सामान्य रूप से और कतिपय कार्यरत एवं सेवानिवृत्त शिक्षकों को उनके विशेष योगदान के लिये सम्मानित किया जाता है। इसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा साल 1966 में यूनेस्को […]
ताशकंद और भारत के लाल बहादुर शास्त्री
अर्पण जैन “अविचल” 2 अक्टूबर शास्त्री जयंती विशेष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल‘ भाग्य और कर्म के बीच के संघर्ष में कभी कर्म जीतता है तो कभी भाग्य, किन्तु कभी-कभी दोनों के इतर प्रारब्ध बलवान हो जाता है।आध्यात्म और दर्शन के अध्येता प्रारब्ध को सर्वोपरि मानकर नियति के फ़ैसले को अंतिम निर्णय कहते हैं और प्रारब्ध […]
निरंतर प्रयास करते रहने से लक्ष्य की प्राप्ति अवश्य ही होती है। जब व्यक्ति के भीतर प्रतिभा का सागर उछाले मारता है तो वह आसमान में भी सुराख करने में सफल हो जाता है। कहा यह भी जाता है कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती और कहा यह भी जाता है कि जब परमपिता […]
-अशोक “प्रवृद्ध” वैदिक मतानुसार वेद सब सत्य विधाओं की पुस्तक है। वेद अपौरुषेय हैं। वेद ईश्वर की वाणी है। वेद सब सत्य विद्याओं का मूल है। इसलिए केवल वेद विद्या पर ही विश्वास करना चाहिए। ईश्वर प्राप्ति का एकमात्र उपाय महर्षि पतंजलि प्रणीत यम ,नियम, आसान, प्रत्याहार, ध्यान, धारणा और समाधि है। महर्षि दयानंद सरस्वती […]
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों एवं भारतीय समाज के लिए संघ के अपनी स्थापना के शताब्दी वर्ष में प्रवेश करना एक गर्व का विषय हो सकता है। संघ के स्वयंसेवक समाज में अपना सेवा कार्य पूरी प्रामाणिकता से बहुत ही शांतिपूर्वक तरीके से करते रहते हैं। वरना, भारत सहित पूरे विश्व में आज ऐसा माहौल […]
एक समय वह भी था जब सारे संसार का एक ही धर्म था-वैदिक धर्म।एक ही धर्मग्रन्थ था वेद।एक ही गुरु मंत्र था-गायत्री।सभी का एक ही अभिवादन था-नमस्ते।एक ही विश्वभाषा थी-संस्कृत।और एक ही उपास्य देव था-सृष्टि का रचयिता परमपिता परमेश्वर,जिसका मुख्य नाम ओ३म् है।तब संसार के सभी मनुष्यों की एक ही संज्ञा थी-आर्य।सारा विश्व एकता के […]