ऐसा सवाल उठाने के पीछे हमारा उद्देश्य किसी की मान्यता और आस्था को ठेस पंहुचना नहीं है , बल्कि बुखारी में दिए गए अबू बकर के उस बयान की सत्यता को परखना है , जिसमे उन्होंने अल्लाह की कसम खाकर फातिमा से कहा था “,न तो तुम रसूल की संपत्ति की वारिस हो और न […]
महीना: सितम्बर 2024
अमेरिका कभी भी वैश्विक राजनीति में भारत का मित्र नहीं रहा है। हर मोड़ पर इसने भारत को पटखनी देने का हर संभव प्रयास किया है। पाकिस्तान और चीन को भारत के विरुद्ध उकसाने की गतिविधियों में भी अमेरिका की सीआईए सक्रिय रही है। इसके साथ-साथ वहां के नेतृत्व ने भी भारत को नीचा दिखाने […]
ओ३म् 🌷श्राद्ध करना चाहिए या नहीं?🌷 प्रश्न:-श्राद्ध करना चाहिए या नहीं? उत्तर:-श्राद्ध करना चाहिए।जीवित माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी, गुरु आचार्य तथा अन्य वृद्धजनों एवं तत्ववेत्ता विद्वान् लोगों को अत्यन्त श्रद्धापूर्वक सेवा करनी चाहिए, इसी का नाम ‘श्राद्ध’ है। प्रश्न:-‘श्राद्ध’ तो मरे हुए पितरों का होता है, जीवित का भी कहीं श्राद्ध होता है? उत्तर:-पहले यह सोचो […]
१• ओ३म् खं ब्रह्म ।। ( यजुर्वेद ४०/१७ ) ओ३म् = सबका रक्षक ब्रह्म परमेश्वर जो आकाश के समान सर्वत्र व्यापक है | २• प्राणाय नमो यस्य सर्वमिदं वशे । यो भूतः सर्वस्य ईश्वरो यस्मिन् सर्वं प्रतिष्ठितम् ।। ( अथर्व ११/४/१ ) ईश्वर = आश्वर्यवान संसार के समस्त पदार्थों का स्वामी ३• तद्विष्णोः परमं पदं […]
ये रुपाणि प्रतिमुञ्चमाना असुराः सन्तः स्वधया चरन्ति । परापुरो निपुरो ये भरन्त्यग्निष्टाँल्लोकात् प्रणुदात्यस्मात् ।। -(यजुर्वेद २/३०) अर्थ:- जो दुष्ट मनुष्य अपने मन, वचन और शरीर से झूठे आचरण करते हुए अन्याय से अन्य प्राणियों को पीड़ा देकर अपने सुख के लिए दूसरों के पदार्थों को ग्रहण कर लेते हैं, ईश्वर उनको दुःखयुक्त करता है और […]
=========== हम मनुष्य हैं और अपनी बुद्धि व ज्ञान का उपयोग कर हम सत्य और असत्य का निर्णय करने में समर्थ हो सकते हैं। परमात्मा ने सृष्टि के आरम्भ में चार वेद ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद का ज्ञान दिया था। यह ज्ञान सभी मनुष्यों के लिए दिया गया था। यह ज्ञान सभी श्रेणी के […]
दिव्य अग्रवाल सनातनी समाज कितना दोषी है यह भी आत्ममंथन करना चाहिए , गैर-हिन्दू समाज के प्रतिष्ठानों में जाकर उनके द्वारा निर्मित मांसाहार को चटकारे लेकर जो हिन्दू खाते हैं वह क्या सनातन धर्म के सम्मान को धूमिल नहीं कर रहे, मंदिर समितियों के पदाधिकारी अपने वर्चस्व का प्रदर्शन करते हुए जब गैर-हिन्दू समाज के […]
============ हिन्दू समाज आज कल अन्धविश्वासों का पर्याय बन गया है। श्राद्ध शब्द को पढ़कर धर्म-कर्म में रूचि न रखने वाला एक अल्प ज्ञानी सामान्य व्यक्ति भी समझता है कि श्राद्ध अवश्य ही श्रद्धा से सम्बन्ध रखता है। जिस प्रकार से देव से देवता शब्द बनता है उसी प्रकार से श्रद्धा से श्राद्ध बनता है। […]
मुसलमान अक्सर यह कहते हैं कि ,हम अपने ईमान के पक्के हैं ,हमारा इमान पुख्ता है ,हम ईमान से समझौता नहीं कर सकते .तो लोग इसे भूल से इसे मुसलमानों की ईमानदारी( Honesty )समझ लेते हैं .वैसे इमान का अर्थ विश्वास (faith ,Belief ,Creed )भी होते हैं लेकिन बहुत कम लोग मुसलमानों के इमान का […]
जब 6 जून 1674 को शिवाजी महाराज ने ” हिंदवी स्वराज्य ” की स्थापना करते हुए राज्य सत्ता संभाली तो उन्होंने मुगलिया राज्य होने के कारण प्रशासनिक शब्दावली में आ गए अरबी और फारसी के शब्दों को दूर करने का अभियान आरंभ किया। उन्होंने अपने एक मंत्री रामचंद्र अमात्य को शासकीय उपयोग में आने वाले […]