माँ पिता जी की 40वीं वैवाहिक वर्षगांठ का समारोह था किंतु ज्येष्ठ पुत्र के मन में भयंकर ऊहापोह था कार्यक्रम के अंत में सब युगल के लिए दो शब्द बोल रहे थे अपने भावों को सीमित शब्दों में तौल रहे थे अब बड़े पुत्र की बारी थी सबको उम्मीदें, उस से बड़ी भारी थी ज्येष्ठ […]
महीना: सितम्बर 2024
============ संसार की अधिकांश जनसंख्या ईश्वर के अस्तित्व को स्वीकार करती है। बहुत बड़े-बड़े वैज्ञानिक भी किसी न किसी रूप में इस सृष्टि को बनाने व चलाने वाली सत्ता के होने का संकेत करते हुए उसे दबी जुबान से स्वीकार करते हैं। हमारा अनुमान व विचार है कि यदि यूरोप के वैज्ञानिकों ने वेदों को […]
हमारा उद्देश्य किसी की आस्था पर प्रहार करना नहीं ,लेकिन हमें विश्वास है कि यह शीर्षक पढ़ते ही ओवैसी जैसी सोच रखने वाले जरूर बौखला जायेंगे , क्योंकि इस लेख में दिए गए तथ्य सौ प्रतिशत सत्य हैं ,इसलिए आप इस लेख को ध्यान से पूरा पढ़िए . . कुछ समय पहले जब एक टी […]
अ पने ज्येष्ठ पिताश्री धर्मराज युधिष्ठिर और अन्य पांडवों के आग्रह और आदेश को स्वीकार कर अभिमन्यु ने भयंकर युद्ध करना आरंभ किया। वह जिधर भी निकलता उधर ही कौरव दल में हड़कंप मच जाता। उसका साहस और उसकी वीरता आज देखने लायक थी। आज दैवीय शक्तियाँ भी अभिमन्यु की वीरता और युद्ध कौशल को […]
अंत्योदय के प्रणेता पं. दीनदयाल उपाध्याय की जयंती (25 सितंबर) पर विशेष आलेख महान विचारक एवं राजनीतिक चिंतक पं. दीनदयाल उपाध्याय ने समाज में व्याप्त आर्थिक विषमता को दूर करने के लिए 20 वी सदी में अंत्योदय के सिद्धांत का प्रतिपादन किया था. उन्होंने जब महसूस किया कि देश में अमीरी व गरीबी के बीच […]
पं जवाहर लाल नेहरू जो आजाद भारत के कथित पहले सेकुलर प्रधानमंत्री माने जाते हैं। जिन्होंने भारत में महिला सशक्तिकरण, महिलाओं को धार्मिक आजादी संबंधी और विभिन्न कुरीतियों को समाप्त करने हेतु सख्त रवैया अपनाया उन्होंने भी कभी मुस्लिम महिलाओं की दयनीय स्थिति को सुधारने का कोई प्रयास नहीं किया। जबकि वे स्वयं के सांस्कृतिक […]
‘ विशेष ‘ निर्मल और अधम हृदय की पहचान :- निर्मल हृदय में उगें , प्रभु-प्रेरित सद्भाव। अधम हृदय में जन्मते, कल्मष कुटिल दुराव॥2718॥ तत्त्वार्थ- भाव यह है कि जनका हृदय निर्मल होता है। वे प्रभु-कृपा के पात्र होते है। प्रभु प्रेरणा से उनके हृदय में हमेशा ऐसी उर्मियाँ उठती हैं,जो उन्हें सत् चर्चा सत्कर्म […]
(यह लेख माला हम पंडित रघुनंदन शर्मा जी की पुस्तक वैदिक सम्पत्ति नामक से अपने सुधि पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं।) प्रस्तुति -देवेंद्र सिंह आर्य चैयरमेन- ‘उगता भारत’ गतांक से आगे …. इ स पर हमारा नम्र निवेदन इतना ही है कि यह वेदो का सिद्धांत है, इसलिए केवल पुनरावर्तन की दलील से […]
तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा बहुत हंसी आती है ऐसी बातों पर =वैदिक धर्म में अंधविश्वास का कोई स्थान नहीं हैं वैदिक धर्म में तीन (३) अंक को बहुत शुभ माना गया है । वैदिक धर्म में तीन का कितना महत्व है वह निम्नलिखित कुछ बिंदुओं द्वारा प्रमाणित किया जा सकता सकता है । तीन दुःख […]
महान दार्शनिक प्लेटो के शिष्य व सिकंदर के गुरु अरस्तु ने कहा था – “विषमता का सबसे बुरा रूप है विषम चीजों को एक समान बनाने का प्रयत्न करना।” The worst form of inequality is to try to make unequal things equal. एकात्म मानववाद, विषमता को इससे बहुत आगे के स्तर पर जाकर हमें समझाता […]