– ललित गर्ग – भारतीय बच्चों में बढ़ रही हिंसक प्रवृत्ति चिन्ताजनक है। पिछले कुछ समय से स्कूली बच्चों में बढ़ती हिंसा की प्रवृत्ति निश्चित रूप से डरावनी एवं खैफनाक है। चिंता का बड़ा कारण इसलिए भी है क्योंकि जिस उम्र में बच्चों के मानसिक और सामाजिक विकास की नींव रखी जाती है, उसी उम्र […]
Month: September 2024
स्वामी दयानंद कि वैदिक विचारधारा को जन-जन तक पहुँचाने में हज़ारों आर्यों ने अपने अपने सामर्थ्य के अनुसार योगदान दिया। साहित्य सेवा द्वारा श्रम करने वालो ने पंडित लेखराम की अंतिम इच्छा को पूरा करने का भरपूर प्रयास किया। डॉ भवानीलाल भारतीय आर्य जगत कि महान विभूति हैं जिनका सम्पूर्ण जीवन साहित्य सेवा द्वारा ऋषि […]
– सुरेश सिंह बैस “शाश्वत” अपने अंचल के पौराणिक और ऐतिहासिक विश्व प्रसिद्ध शिवालय जहां भगवान शिव शंकर का शिवलिंग लक्ष्मण जी और भगवान राम द्वारा स्थापित किया हुआ शिवलिंग स्थापित है । इस शिवलिंग की मान्यता है कि इसके दर्शन मात्र से सारे पाप धुल जाते हैं। अतः आज हमने भरी बरसात के समय […]
* डॉ डी के गर्ग मैंने कई स्थानों पर लिखा देखा -जय बद्री विशाल , इसको पढ़ने के बाद बदरीनाथ के विषय में जानने की उत्सुकता हुई । और इसके बाद बहुत कुछ समझने को मिला की बद्रीनाथ, केदारनाथ ,विश्वनाथ ,जगन्नाथ आदि सभी एक ही ईश्वर के नाम है लेकिन भाषा ज्ञान के आभाव में […]
प्रस्तुति- प्रियांशु सेठ भाग 1 १. जैसे शीत से आतुर पुरुष का अग्नि के पास जाने से शीत निवृत्त हो जाता है वैसे परमेश्वर के समीप प्राप्त होने से सब दोष दुःख छूटकर परमेश्वर के गुण कर्म स्वभाव के सदृश जीवात्मा के गुण कर्म स्वभाव पवित्र हो जाते हैं। (सत्यार्थप्रकाश समुल्लास ७) २. जो परमेश्वर […]
ईश्वर के विषय में यह माना जाता है कि वह सृष्टि के अणु-अणु में विद्यमान है और घट-घट वासी है। उसकी दृष्टि से कोई बच नहीं सकता। अत: वह मनुष्य के प्रत्येक विचार का और प्रत्येक कार्य का स्वयं साक्षी है। जिससे उसकी न्यायव्यवस्था से कोई बच नहीं पाएगा। घट-घट वासी होने से ईश्वर हमारे […]
प्रभु-मिलन की चाह है, तो: -*
नाम, जन्म, स्थान को, केवल जानै ईश। अन्तःकारण पवित्र रख, मिल जावै जगदीश ॥2712॥ तत्त्वार्थ:- प्रायः देखा गया है कि स्वर्ग तो सभी चाहते हैं किन्तु पुण्य – प्रार्थना कोई और करें क्या यह सम्भव है ? म नही! ठीक इसी प्रकार जिस अन्तःकरण चतुष्ट्य अर्थात् मन बुद्धि, चित्त,अहंकार को निर्मल किये बिना परमात्म-प्राप्ति हो […]
(यह लेख माला हम पंडित रघुनंदन शर्मा जी की पुस्तक वैदिक सम्पत्ति नामक से अपने सुधि पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं।) प्रस्तुति -देवेंद्र सिंह आर्य चैयरमेन- ‘उगता भारत’ गतांक से आगे …. मोन का स्वरूप, स्थान और साधन मोक्ष का स्वरूप दो प्रकार का है। दुःखों से छूट जाना पहिला स्वरूप है और […]
रजनीश ओशो मत खण्डन रजनीश (ओशो) को भगवान बताने वाले कुछ लोग सत्य के ज्ञान से जो अनभिज्ञ है सत्य जानने के लिए यह लेख अवश्य पढ़े। लेखक – हिमांशु आर्य ओशो वैदिक धर्म और मत – सम्प्रदाय विषय को जानने में अक्षम रहा ओशो सारी बुराइयों का जड़ धर्म , संस्कृति और ऋषियों को […]
लेखक श्री विष्णु शर्मा प्रायः अनेक प्रकार के विभिन्न विचारधारा वाले लोग गीता पर यह आक्षेप लगाते रहते हैं कि गीता में जिहाद है और भीषण नरसंहार का आदेश दिया गया है किंतु आश्चर्य की बात तो ये है कि ऐसे लोगों ने कभी गीता को उठाकर तक भी देखा नहीं होता.. केवल सुनी सुनाई […]