🕉️ रात्रि कहानी 🕉️ स्वामी रामकृष्ण परमहंसजी कैंसर रोग से पीडित थे । उन्हें खांसी बहुत आती थी और उस कारण वे खाना भी नहीं खा पाते थे । स्वामी विवेकानंद जी अपने गुरु जी की हालत से बहुत दु:खी होते थे । एक दिन स्वामी रामकृष्ण परमहंसजी ने विवेकानंदजी को अपने पास बुलाया और […]
Month: September 2024
वैदिक वांग्मय किसे कहते हैं? वैदिक वांग्मय क्या है? वेद, वेदांग, उपांग, शाखाएं, उपनिषद ,स्मृतियां क्या है? सर्वप्रथम वैदिक वांग्मय को स्पष्ट करने से पूर्व वैदिक इतिहास को समझना आवश्यक है। वैदिक ग्रंथों को समझना आवश्यक है। वैदिक वांग्मय में अगर कोई आधारभूत रचना है तो वो चार वेद हैं । चार वेद कौन-कौन से […]
ऋतम्भरा तुलाधार और जाजलि
ॐ ।। आध्यात्मिक योग यात्रा ।। ॐ काशी में तुलाधार नामक वैश्य रहते थे, जो भक्तिमान, कर्तव्यनिष्ठ, धर्मात्मा, चिन्तनशील और सत्यवादी थे। ये व्यापार करते हुए भी जल में रहने वाले कमलपत्र के समान निर्लिप्त रहे। प्राणिमात्र के साथ प्रेम का व्यापार करते थे। श्रद्धा, सदाचार, वर्णाश्रम, धर्म,समता सत्य और निष्काम सेवा आदि गुणों के […]
प्रियांशु सेठ जब तक इन बातों का ज्ञान न हो जाय,तब तक अपने प्रियतम को कैसे पहचाने?कैसे समझे कि हम किसके दर्शन कर रहे हैं या हमें दर्शन हो गए? याज्ञवल्क्य ने एक बार गार्गी से कहा था- “ब्रह्म के जाननेवाले उसे अक्षर,अविनाशी,कूटस्थ कहते हैं।वह न मोटा है,न पतला।न छोटा है,न लम्बा।न अग्नि की तरह […]
सुदामापुरी भी मूल द्वारका का ही अंश
आचार्य डॉ. राधेश्याम द्विवेदी आमतौर पर लोग द्वारका उस क्षेत्र को समझते हैं जहां वर्तमान समय में गोमती नदी के तट पर बहुत दूर से दिखती ऊंची पताका वाला भगवान द्वारकाधीश जी का मंदिर है। लेकिन कम लोग जानते हैं कि द्वारका को तीन भागों में बांटा गया है। मूल द्वारका, गोमती द्वारका और बेट […]
============ वेद ईश्वरीय ज्ञान होने के साथ धर्म और संस्कृति सहित सभी विद्याओं का आदि स्रोत भी है। वेद धर्म व संस्कृति विषयक पूर्ण ज्ञान प्रस्तुत करता है। वेदों की विद्यमानता में धर्म व संस्कृति के ज्ञान व उसके प्रचार व प्रचलन के लिये किसी अन्य ज्ञान की पुस्तक की आवश्यकता नहीं है। वेद नित्य […]
वित्तीय वर्ष 2024-25 की प्रथम तिमाही (अप्रेल-जून 2024) में सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर के आंकडें जारी कर दिए गए हैं एवं हर्ष का विषय है कि भारत अभी भी विश्व में सबसे तेज गति से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था बनी हुई है। वित्तीय वर्ष 2024-25 की प्रथम तिमाही में भारत के सकल घरेलू उत्पाद […]
रामचंद्र जी ने आज युद्ध का मोर्चा स्वयं संभाला हुआ था। वह नहीं चाहते थे कि आज भी लक्ष्मण इधर-उधर से आकर युद्ध में अपनी अहम भूमिका का निर्वाह करते हुए रावण वध के लिए अपने आप को झोंक दे। वे छोटे भाई को एक शक्ति के रूप में बचा कर रखना चाहते थे। उन्हें […]
* मोक्ष की अधिकारी आत्मा 31 निल 10 खरब 40 अरब वर्ष मोक्ष का सुख( इस अवधि में वह आत्मा ब्रह्म के साथ विचरण करता है) भोगने के बाद पुनः मनुष्य योनि में जन्म लेती है। ऐसा व्यक्ति साधारण व्यक्ति नहीं होता, वह चमत्कारी होता है, जिसके हाथों व बोली में चमत्कार होता है( ऋगवेद […]
यह सृष्टि कहाँ पर स्थापित है?
परम व्योम अर्थात् अन्तरिक्ष से परे क्या है? हमारी श्रद्धा भक्ति कहाँ स्थापित होती है? यह सृष्टि कहाँ पर स्थापित है? द्विता वि वव्रे सनजा सनीळे अयास्यः स्तवमानेभिरर्कैः। भगो न मेने परमे व्योमन्नधारयद्रोदसी सुदंसाः ।। ऋग्वेद मन्त्र 1.62.7 (कुल मन्त्र 717) (द्विता) दो प्रकार से (वि) विशेष रूप से (वव्रे) स्वीकार करता है, स्थापित करता […]