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आर्थिकी/व्यापार

भारत की आर्थिक प्रगति को रोकने हेतु अशांति फैलाने के हो रहे हैं प्रयास

भारत की लगातार तेज हो रही आर्थिक प्रगति पर विश्व के कुछ देश अब ईर्ष्या करने लगे हैं एवं उन्हें यह आभास हो रहा है कि आगे आने वाले समय में इससे उनके अपने आर्थिक हितों पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। इस सूची में सबसे ऊपर चीन का नाम उभर कर सामने आ रहा […]

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विविधा

झारखंड में देवी पार्वती के सिद्धा स्वरूप की प्रतिमा*

(शिव शंकर सिंह पारिजात – विनायक फीचर्स) झारखंड के संथाल परगना प्रमंडल के पाकुड़ जिले के अंतर्गत झारखंड-बंगाल की सीमा पर स्थित महेशपुर राज प्रखंड के श्मशान क्षेत्र के निकट मई, 24 के मध्य में बांसलोई नदी के कुलबोना घाट में बालू की खुदाई के दौरान खड़ी मुद्रा में शाक्त देवी की एक अत्यंत सुघड़ […]

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इतिहास के पन्नों से

विभाजन कालीन भारत के ,वे पन्द्रह दिन….1 अगस्त

१ अगस्त, १९४७ – प्रशांत पोळ शुक्रवार, १ अगस्त १९४७. यह दिन अचानक ही महत्त्वपूर्ण बन गया. इस दिन कश्मीर के सम्बन्ध में दो प्रमुख घटनाएं घटीं, जो आगे चलकर बहुत महत्त्वपूर्ण सिद्ध होने वाली थीं. इन दोनों घटनाओं का आपस में वैसे तो कोई सम्बन्ध नहीं था, परन्तु आगे होने वाले रामायण-महाभारत में इनका […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत

मेरे मानस के राम : अध्याय 32 , अंगद की वीरता

बाली पुत्र अंगद बहुत ही वीर थे । रामायण में उनकी वीरता को कवि ने बड़े ही प्रशंसनीय शब्दों में प्रस्तुत किया है। उनकी वीरता का लोहा स्वयं रावण ने की माना था। रावण ने उन्हें धर्म के पक्ष से मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के पक्ष से हटाकर अधर्म के साथ अर्थात अपने साथ जोड़ने […]

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भारतीय संस्कृति

ओ३म् “ऋषि दयानन्द जी का गुरु विरजानन्द से विद्या प्राप्ति का उद्देश्य व उसका परिणाम”

============= ऋषि दयानन्द ने सच्चे शिव वा ईश्वर को जानने के लिए अपने पितृ गृह का त्याग किया था। इसके बाद वह धर्म ज्ञानियों व योगियों की तलाश कर उनसे ईश्वर के सत्यस्वरूप व उसकी प्राप्ति के उपाय जानने में तत्पर हुए थे। देश के अनेक स्थानों पर वह इस उद्देश्य की पूर्ति में गये […]

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बिखरे मोती

त्रिगुणातीत से क्याअभिप्राय है ? ( भाग -2 )

रजोगुण की प्रधानता से कर्म तो करो क्योंकि रजोगुण से सुख की प्राप्ति होती है किन्तु उसमें फंसो मत जैसे कमल पानी में रहता किन्तु पानी से ऊपर रहता है। कहने का अभिप्राय यह है कि आसक्ति में मत फंसो निरासक्त रहो, प्राणी मात्र अथवा मानवत के कल्याण के लिए सदैन तत्पर रहो, एक तपस्वी […]

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आज का चिंतन

हमारे मन की वृत्तियों और इच्छाओं को कौन कमजोर कर सकता है?

उच्च ज्ञान की तरफ किसे ले जाया जाता है? एक लक्ष्य की तरफ किस प्रकार प्रगति और प्राप्ति की सफलता हो सकती है? अस्येदेव शवसा शुषन्तं वि वृश्चद्वज्रेण वृत्रमिन्द्रः। गा न व्राणा अवनीरमुंचदभि श्रवो दावने सचेताः ।। ऋग्वेद मन्त्र 1.61.10 (कुल मन्त्र 704) (अस्य इत् एव) केवल इसका (परमात्मा का) (शवसा) बल के साथ (शुषन्तम) […]

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वैदिक संपत्ति

वैदिक संपत्ति 340 वैदिक आर्यों की सभ्यता, जड़ सृष्टि से उत्पति

(ये लेखमाला हम पं. रघुनंदन शर्मा जी की ‘वैदिक संपत्ति’ नामक पुस्तक के आधार पर सुधि पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहें हैं) प्रस्तुतिः देवेन्द्र सिंह आर्य (चेयरमैन ‘उगता भारत’) गतांक से आगे… जाति, आयु और भोग योगशास्त्र में लिखा है कि ‘सति मूले तद्विपाको जात्यायुर्भाग.’ अर्थात् पूर्वकर्मानुसार प्राणियों को जाति, बायु और भोग मिलते […]

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महत्वपूर्ण लेख

शिक्षा से वंचित बच्चों का भविष्य

नरेंद्र शर्मा जयपुर, राजस्थान “मेरे चार बच्चे हैं. इन्हें स्कूल भेजना तो दूर, खाना खिलाने के लिए भी पैसे नहीं होते हैं. कभी मज़दूरी मिलती है और कभी नहीं मिलती है. ऐसे में मैं इनके खाने की व्यवस्था करूं, या इनकी शिक्षा के लिए चिंता करें? पहले स्कूल में एडमिशन कराने का भी प्रयास किया […]

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इतिहास के पन्नों से

*क्या हम विभाजन की ओर बढ़ रहे हैं?*

प्रशांत पोळ आज से ठीक ७७ वर्ष पूर्व, चौदह दिनों के बाद आई हुई रात, यह विभाजन की रात थी। किसी समय अत्यंत शक्तिशाली, वैभवशाली और संपन्न रहे हमारे अखंड भारत के तीन टुकड़े हो गए थे। पवित्र सिंधु नदी हमें परायी हो गई। राजा दाहिर के पराक्रम की गाथा सुनाने वाला सिंध प्रांत हमसे […]

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