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आतंकवाद

पड़ोसी देश किया जा रहे हैं भारत विरोधी सरकारों के हवाले

-ललित गर्ग- भारत के पडोसी देशों में अस्थिरता एवं अराजकता का माहौल चिन्ताजनक है। बांग्लादेश के साथ-साथ भारत के पड़ोसी मुल्कों में हुए हालिया अराजक, हिंसक एवं अस्थिरता के घटनाक्रमों से एक तस्वीर बनती है एवं एक सन्देश उभर कर आता है, वह है, चीनी के द्वारा भारत विरोधी सरकारों के गठन की साजिश। सिर्फ […]

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धर्म-अध्यात्म

ओ३म् “एक अकेला ईश्वर सृष्टि की उत्पत्ति व पालन कैसे कर सकता है?”

-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। वैदिक धर्मी मानते हैं कि संसार में ईश्वर एक है और वही इस सृष्टि का रचयिता, पालनकर्ता तथा प्रलयकर्ता है। वही ईश्वर असंख्यजीवों के सभी कर्मों का साक्षी होता है तथा उन्हें उनके अनेक जन्म-जन्मान्तरों में सभी कर्मों के सुख व दुःख रूपी फल देता है। एक ईश्वरीय सत्ता के लिये […]

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इतिहास के पन्नों से

डॉक्टर के.एम. पणिक्कर की मान्यता : गुर्जर वंश के शिलालेख

डॉक्टर के.एम. पणिक्कर की मान्यता डॉक्टर के.एम. पणिक्कर ने अपने ‘भारत का इतिहास’ में अरब आक्रमणकारियों के विरुद्ध गुर्जर प्रतिहारों के संघर्ष का उल्लेख करते हुए लिखा है कि गुर्जर प्रतिहारों ने अरब आक्रमणकारियों के समय देश का नेतृत्व संभालकर अरब आक्रमणकारियों से उसके धर्म व संस्कृति की रक्षा का जो कार्य किया उसके लिए […]

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भारतीय संस्कृति

भ्रमोच्छेदन : वैदिक पथानुगामी आर्य भरत और मुनिश्रेष्ठ भरद्वाज का दर्शन

लेखक- प्रियांशु सेठ, वाराणसी [आर्यावर्त के स्थापित आदर्शों को कलंकित करने के कुत्सित प्रयासों के क्रम में महर्षि भरद्वाज द्वारा मांस परोसने के कुछ यूट्यूबर्स के अनर्गल प्रवाद का युवा गवेषक द्वारा मुंह तोड़ प्रामाणिक उत्तर दिया जा रहा है। -सम्पादक शांतिधर्मी] महर्षि वाल्मीकि ने अपने काव्यग्रन्थ रामायण में वैदिक संस्कृति का वर्णन करते हुए […]

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भारतीय संस्कृति

रजनीश ओशो मत खण्डन

रजनीश (ओशो) को भगवान बताने वाले कुछ लोग सत्य के ज्ञान से जो अनभिज्ञ है सत्य जानने के लिए यह लेख अवश्य पढ़े। लेखक – हिमांशु आर्य ओशो वैदिक धर्म और मत – सम्प्रदाय विषय को जानने में अक्षम रहा ओशो सारी बुराइयों का जड़ धर्म , संस्कृति और ऋषियों को मानता है , और […]

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पूजनीय प्रभो हमारे……

*क्या परमात्मा एक कल्पना है ?*

कुछ लोग कहते हैं कि हम परमात्मा एक कल्पना है , हम उसको नही मानते क्योकि वह दिखाई नही देता ! इसका उत्तर व निराकरण – जो वस्तु अति दूर है, अति पास है,अति सूक्ष्म है, उसे हम अपनी ऑखो से नही देख पाते । फिर ईश्वर तो हमारे हृदय मे निवास करता है उसको […]

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इतिहास के पन्नों से

वे पंद्रह दिन *३ अगस्त, १९४७*

प्रशांत पोळ आज के दिन गांधीजी की महाराजा हरिसिंह से भेंट होना तय थी. इस सन्दर्भ का एक औपचारिक पत्र कश्मीर रियासत के दीवान, रामचंद्र काक ने गांधीजी के श्रीनगर में आगमन वाले दिन ही दे दिया था. आज ३ अगस्त की सुबह भी गांधीजी के लिए हमेशा की तरह ही थी. अगस्त का महीना […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत

मेरे मानस के राम : अध्याय 33 , राम लखन को शरबंध से बांधना

वाल्मीकि कृत रामायण से हमें पता चलता है कि मेघनाद ने अगले दिन क्रोध में भरकर सर्प के समान भीषण बाणों से राम और लक्ष्मण को युद्ध में बींध डाला । कपटी योद्धा इंद्रजित ने चालाकी से अपने आप को सभी सैनिकों की दृष्टि से ओझल रखते हुए राम और लक्ष्मण को शरबंध से बांध […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र

भारत में उपद्रव , उत्पात और अशांति पैदा करने के हो रहे हैं गंभीर षड्यंत्र

भारत की लगातार तेज हो रही आर्थिक प्रगति पर विश्व के कुछ देश अब ईर्ष्या करने लगे हैं एवं उन्हें यह आभास हो रहा है कि आगे आने वाले समय में इससे उनके अपने आर्थिक हितों पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। इस सूची में सबसे ऊपर चीन का नाम उभर कर सामने आ रहा […]

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इतिहास के पन्नों से

रघुवंशी(सूर्यवंशी) गुर्जर के शिलालेख

(1) विद्व शाल मंजिका, सर्ग 1, श्लोक 6 में राजशेखर ने कन्नौज के गुर्जर प्रतिहार सम्राट मिहिरभोज महान के पुत्र महेंद्रपाल को रघुकुल तिलक गुर्जर अर्थात सूर्यवंशी गुर्जर बताया है। (2) महाराज कक्कुक का घटियाला शिलालेख भी इसे सूर्यवंशी वंश प्रमाणित करता है, अर्थात रघुवंशी गुर्जर। (3) बाउक प्रतिहार के जोधपुर लेख से भी इनका […]

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