अपने अस्तित्व के अहंकार और परिस्थितियों में परिवर्तन के प्रभाव से कैसे ऊपर उठें? आ सूर्ये न रश्मयो ध्रुवासो वैश्वानरे दधिरेऽग्ना वसूनि। या पर्वतेष्वोषधीष्वप्सु या मानुषेष्वसि तस्य राजा ।। ऋग्वेद मन्त्र 1.59.3 (कुल मन्त्र 685) (आ – रश्मयः तथा दधिरे से पूर्व लगाकर) (सूर्ये) सूर्य में (न) जैसे (रश्मयः – आ रश्मयः) सभी दिशाओं में […]
महीना: जुलाई 2024
डॉ डी के गर्ग निवेदन : ये लेखमाला 20 भाग में है। इसके लिए सत्यार्थ प्रकाश एवं अन्य वैदिक विद्वानों के द्वारा लिखे गए लेखो की मदद ली गयी है। कृपय अपने विचार बताये और उत्साह वर्धन के लिए शेयर भी करें। भाग-11 जैन मत में मूर्ति पूजा सनातन धर्म का मूल वेदों पर आधारित […]
अब अपने गुरु विश्वामित्र जी के साथ चलते हुए रामचंद्र जी अपने भाई लक्ष्मण के साथ जनकपुरी पहुंच गए। यहां पर गुरुवर विश्वामित्र जी को पता चला कि राजा जनक अपनी पुत्री सीता के विवाह को लेकर चिंतित हैं। उन्हें इस घटना की भी जानकारी हुई कि किस प्रकार सीता जी ने शिव जी के […]
============= श्री शिवनाथ आर्य हमारी युवावस्था के दिनों के निकटस्थ मित्र थे। उनसे हमारा परिचय आर्यसमाज धामावाला देहरादून में सन् 1970 से 1975 के बीच हुआ था। दोनों की उम्र में अधिक अन्तर नहीं था। वह अद्भुत प्रकृति, स्वभाव व व्यवहार वाले आर्यसमाजी थे। उनके विलक्षण व्यक्तित्व के कारण मैं उनकी ओर खिंचा और हम […]
निरमा अजमेर, राजस्थान हमारे देश में महिलाओं और किशोरियों को आज भी जीवन के किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए पितृसत्तात्मक समाज से संघर्ष करनी पड़ती है. कभी आधुनिकता और कभी संस्कृति एवं परंपरा के नाम पर उसके पैरों में बेड़ियां डालने का काम किया जाता रहा है. शिक्षा, हर रुकावट को दूर […]
============== आर्य प्रतिनिधि सभा, उत्तर प्रदेश के प्रधान एवं मंत्री रहे श्री धर्मेन्द्र सिंह आर्य (1924-1996) उच्च कोटि के ऋषिभक्त और आर्यसमाज के दीवाने थे। वह उत्तम जीवन एवं सदाचार युक्त आचरण के धनी थे। आपका जन्म उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जनपद के एक ग्राम पिलखनी में सन् 1924 में आर्यसमाजी पिता श्री रामशरण आर्य […]
(शिव शरण त्रिपाठी – विनायक फीचर्स) यदि चुनाव के समय राजनीतिक दलों द्वारा अपने घोषणा पत्रों के माध्यम से अपनी राजनीतिक स्वार्थ सिद्ध के लिये नाना प्रकार की मुफत की रेवाडिय़ा बांटने की संस्कृति पर लगाम न लगाई गई तो देश को कंगाल होने से कोई बचा नहीं सकता। इससे अधिक दुर्भाग्य और विडम्बना हो […]
* * आचार्य विष्णु श्रीहरि हिन्दू मैनिफेस्टों ने ब्रिटेन की राजनीति और चुनाव को झकझोर कर रख दिया है। ब्रिटेन में केन्द्रीय चुनाव में राजनीतिक दलों को हिन्दू मैनिफेस्टों पर भी ध्यान देने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है। आखिर क्यों? इसलिए कि यह सिर्फ मैंनिफेस्टों भर नहीं है बल्कि हिन्दूवादी संगठनों की एकता […]
नवीं किस्त गतांक से आगे। बृहद्राण्यक उपनिषद के आधार पर , प्रष्ठ संख्या 1099 “यह स्पष्ट है कि शरीर जो जीव का क्रीडा स्थल है, वही देखा जाता है। क्रीड़क( क्रीडा करने वाले अथवा खेल करने वाले) जीव को कोई नहीं देख सकता ,क्योंकि वह निराकार और अदृश्य है। सोते हुए व्यक्ति को जब वह […]
* डॉ डी के गर्ग निवेदन : ये लेखमाला 20 भाग में है। इसके लिए सत्यार्थ प्रकाश एवं अन्य वैदिक विद्वानों के द्वारा लिखे गए लेखो की मदद ली गयी है। कृपय अपने विचार बताये और उत्साह वर्धन के लिए शेयर भी करें। भाग-10 जैन मत में मूर्ति पूजा जैन मत से पूर्व हमारे देश […]