दिव्य अग्रवाल (लेखक व विचारक) वामपंथियों का षड्यंत्र भारतीय संसद में प्रबल हो रहा है । सम्पूर्ण भारत में जितनी आतंकवादी घटनाएं हुई उनको करवाने वाले अधिकतर लोग मुस्लिम समाज से थे परन्तु मुस्लिम तुस्टीकरण के चलते भारतीय संसद आज तक आतंकवाद का मजहब नहीं ढूंढ पाई परन्तु विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भारत […]
महीना: जुलाई 2024
आचार्य डॉ राधेश्याम द्विवेदी राहुल गांधी का संसद में बयान:- कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कल संसद में बहुत ही असभ्य गैर जिम्मेदाराना और विवादित बयान दिया है। ऐसा बयान करोड़ों हिंदुओं की भावना को आहत करने वाला है। उन्होंने कहा कि, “जो लोग अपने आपको […]
जन्म देने वाली माता, धरती माता तथा महान् विद्वानों में कौन सा लक्षण समान हैं? परमात्मा के क्या लक्षण हैं? हम परमात्मा के लक्षणों की अनुभूति अपने भीतर कैसे कर सकते हैं? बृहती इव सूनवे रोदसी गिरः होता मनुष्यो३ न दक्षः। स्वर्वते सत्यशुष्माय पूर्वीर्वैश्वानराय नृतमाय यह्वीः।। ऋग्वेद मन्त्र 1.59.4 (कुल मन्त्र 686) (बृहती इव) जैसे […]
ईश्वर, जीव और प्रकृति नित्य, अनादि व अनुत्पन्न सत्तायें हैं। विगत अनादि काल से जीवात्मा अपने कर्मानुसार जन्म लेता व मृत्यु को प्राप्त होता आ रहा है। अनेक बार जीवात्मा का मोक्ष भी हुआ है और मोक्ष से पुनः लौटकर मनुष्य व कर्मानुसार प्रायः सभी इतर योनियों में जन्म लेता रहा है। जीव की जीवन […]
स्वामी विवेकानंद कंपलीट वर्क्स खंड 5 पृष्ठ 233 पर लिखा गया है कि ” उनके ( मुस्लिमों ) ही अपने ऐतिहासिक लेखों के अनुसार जब पहली बार मुसलमान भारत आए तो भारत में हिंदुओं की जनसंख्या 60 करोड़ थी। इस कथन में न्यून वर्णन का दोष हो सकता है, किंतु अतिशयोक्ति का नहीं। क्योंकि मुसलमानों […]
* डॉ डी के गर्ग निवेदन : ये लेखमाला 20 भाग में है। इसके लिए सत्यार्थ प्रकाश एवं अन्य वैदिक विद्वानों के द्वारा लिखे गए लेखों की मदद ली गयी है। कृपया अपने विचार बताये और उत्साह वर्धन के लिए शेयर भी करें। भाग-14 जैन मत में गपोड़े कृपया ध्यान दे ;– विवेकसार पृष्ठ १०१ […]
जब रानी कैकेई ने हठ करते हुए अपने निर्णय से राजा दशरथ को अवगत कराया तो वह हतप्रभ रह गए। उन्हें जिस बात की आशंका थी, वही उनके सामने आ चुकी थी। इसके उपरांत भी कहीं ना कहीं वह मान रहे थे कि रानी इतनी निष्ठुर नहीं हो सकती, पर रानी ने सारी मर्यादाओं को […]
ललित गर्ग – भारत में बढ़ती शारीरिक अकर्मण्यता एवं आलसीपन एक समस्या के रूप में सामने आ रहा है, लोगों की सक्रियता एवं क्रियाशीलता में कमी आना एवं वयस्कों में शारीरिक निष्क्रियता का बढ़ना चिन्ता का सबब है। इस दृष्टि से प्रतिष्ठित लैंसेट ग्लोबल हेल्थ जर्नल की वह हालिया रिपोर्ट आईना दिखाने वाली है जिसमें […]
ललित गर्ग:- भारतीय न्याय प्रणाली की कमियां को दूर करते हुए उसे अधिक चुस्त, त्वरित एवं सहज सुलभ बनाना नये भारत की अपेक्षा है। मतलब यह सुनिश्चित करने से है कि सभी नागरिकों के लिये न्याय सहज सुलभ महसूस हो, कानूनी प्रावधान न्यायसंगत एवं अपराध-नियंत्रण का माध्यम हो, वह आसानी से मिले, जटिल प्रक्रियाओं से […]
ललित गर्ग – उत्तर प्रदेश के हाथरस में मंगलवार को एक सत्संग के समापन के बाद मची भगदड़ में एक सौ इक्कीस लोगों के मरने एवं सैकड़ों लोगों के घायल होने की हृदयविदारक, दुःखद एवं दर्दनाक घटना ने पूरे देश को विचलित किया है। ऐसी घटनाएं न केवल प्रशासन की लापरवाही एवं गैर जिम्मेदारी को […]