Dr DK Garg निवेदन : ये लेखमाला 20 भाग में है। इसके लिए सत्यार्थ प्रकाश एवं अन्य वैदिक विद्वानों के द्वारा लिखे गए लेखों की मदद ली गयी है। कृपया अपने विचार बताये और उत्साह वर्धन के लिए शेयर भी करें। जैन धर्म में संथारा हमारी मृत्यु कैसे हो ? इस विषय में शाश्त्र क्या […]
महीना: जुलाई 2024
श्री राम वन में रहते हुए सीता जी और लक्ष्मण जी के साथ चित्रकूट से आगे के लिए प्रस्थान करते हैं। वाल्मीकि जी कहते हैं कि चित्रकूट में रहते हुए श्री राम जी इस बात का अनुभव रह रहकर कर रहे थे कि इस स्थान पर मेरा भाई भरत, मेरी माताएं और नगरवासी उपस्थित हुए […]
(मुरलीमनोहर गोयल – विनायक फीचर्स) पृथ्वी के विकास में जिन तीन प्रजातियों का योगदान रहा है वे हैं-वनस्पति, कीट-पतंग (पशु-पक्षी) और मानव। ये सभी एक-दूसरे के पूरक हैं। एक के बिना दूसरे का अस्तित्व संभव नहीं है। क्योंकि यदि वनस्पति जड़ है तो पशु-पक्षी उसका तना तथा मानव उसका फल। यह ही प्रकृति का आदि, […]
संघर्ष और सफलता में क्या सम्बन्ध है? दिवश्चित्ते बृहतो जातवेदो वैश्वानर प्र रिरिचे महित्वम्। राजा कृष्टीनामसि मानुषीणां युधा देवेभ्यो वरिवश्चकर्थ ।। ऋग्वेद मन्त्र 1.59.5 (कुल मन्त्र 687) (दिवः चित्त) सभी दिव्यताओं से भी (ते) आपकी (बृहतः) व्यापक, फैली हुई (जातवेदः) सभी को पैदा करने वाला और समस्त उत्पन्न को जानने वाला (वैश्वानर) सब प्राणियों का […]
लेखक- श्री रामधारी सिंह ‘दिनकर’ उन्नीसवीं सदी के हिन्दू नवोत्थान के इतिहास का पृष्ठ-पृष्ठ बतलाता है कि जब यूरोप वाले भारतवर्ष में आये तब यहां के धर्म और संस्कृति पर रूढ़ि की पर्तें जमी हुई थीं एवं यूरोप के मुकाबले में उठने के लिए यह आवश्यक हो गया था कि ये पर्तें एकदम उखाड़ फेंकी […]
अस्वस्थ आडवाणी और बलिदानी कारसेवकों का अपमान, ये कैसा घमंड? आखिर कब तक हिन्दू कांग्रेस को गले पाले रखेंगे? शर्म करो! राहुल गांधी कांग्रेस की परंपरागत हिंदू विरोध की राजनीति के प्रतीक बनकर उभरे हैं । उन्होंने इस परंपरा को आगे बढ़ाने का ठेका से ले लिया है, जिसके कारण देश का विभाजन हुआ था […]
भारत सदा से एक शांतिप्रिय देश रहा है .यहाँ जितने भी धर्म और सम्प्रदाय पैदा हुए ,उन सबके मानने वाले मिलजुल कर रहते ए हैं ,और सब एक दूसरे के विचारों का आदर करते आये है .क्योंकि भारत के सभी धर्मों में ,प्रेम ,करुणा,मैत्री ,परस्पर सद्भावना और अहिंसा को धर्म का प्रमुख अंग कहा गया […]
============ आर्यसमाज का उद्देश्य संसार में ईश्वर प्रदत्त वेदों के ज्ञान का प्रचार व प्रसार है। यह इस कारण है कि संसार में वेद ज्ञान की भांति ऐसा कोई ज्ञान व शिक्षा नहीं है जो वेदों के समान मनुष्यों के लिए उपयोगी व कल्याणप्रद हो। वेद ईश्वर के सत्य ज्ञान का भण्डार हैं जिससे मनुष्यों […]
(भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इस पर आत्ममंथन अवश्य करें।)* शुरुआत यूपी से करते हैं। दो-दो बार प्रचण्ड बहुमत से इसी उत्तर प्रदेश के हिंदुओं ने भाजपा को संसद में भेजा! भेजा कि नहीं…? दो-दो बार इसी उत्तर प्रदेश ने हिन्दुओं ने योगी आदित्यनाथ जी को विधानसभा भेजा। भेजा कि नहीं…? दो दो बार इसी उत्तर […]
Dr DK Garg निवेदन : ये लेखमाला 20 भाग में है। इसके लिए सत्यार्थ प्रकाश एवं अन्य वैदिक विद्वानों के द्वारा लिखे गए लेखों की मदद ली गयी है। कृपया अपने विचार बताये और उत्साह वर्धन के लिए शेयर भी करें। जैन धर्म में संथारा प्रचलित विस्वास : जैन मत में संथारा लेने का एक […]