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धर्म-अध्यात्म

आत्मा हमारे शरीर में कहां रहती है? भाग 19

गतांक से आगे 19वीं किस्त छांदोग्य उपनिषद के आधार पर। भारतीय मनीषा का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण उपनिषद हैं। यह आध्यात्मिक चिंतन के सर्वोच्च नवनीत हैं ।’उपनिषद ‘शब्द का अर्थ ‘रहस्य’ भी है। उपनिषद अथवा ब्रह्म -विद्या अत्यंत गूढ होने के कारण साधारण विधाओं की भांति हस्तगत( प्राप्त)नहीं हो सकती ।इन्हें ‘रहस्य ‘कहा जाता है। इसके अतिरिक्त […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

अफगानिस्तान का हिंदू वैदिक अतीत *क्या कहते हैं कपिशा और बामियान के भग्नावशेष*

भा रतवर्ष के ग्रामों में आज भी हम देखते हैं कि एक ही कुल वंश के लोग सामान्यतया एक ही पट्टी या मोहल्ले में बसते हैं। इसी प्रकार कभी-कभी हम देखते हैं कि एक ही गोत्र के गाँवों की भी पट्टी बन जाती है, जिसमें दस-बीस या सौ- पचास ही नहीं कभी-कभी तो दो सौ […]

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आर्थिकी/व्यापार

भारतीय परम्पराओं के अनुपालन से देश बढ़ रहा आगे

भारत जो किसी वक्त में सोने की चिड़िया रहा है जिसका किसी वक्त में वैश्विक अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा योगदान रहा है, उस भारत के गुलाम होने के बाद उसकी अर्थव्यवस्था को मुगलों ने एवं अंग्रेजों ने तहस-नहस किया है। भारत का सनातन चिंतन जितना अधिक शक्तिशाली था गुलामी के उस दौर में उस पर […]

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वैदिक संपत्ति

वैदिक सम्पत्ति – 337 *चेतन सृष्टि का पारस्परिक सम्बन्ध*

(यह लेखमाला हम पंडित रघुनंदन शर्मा जी की वैदिक सम्पत्ति नामक पुस्तक के आधार पर सुधि पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं।) प्रस्तुति – देवेंद्र सिंह आर्य चैयरमेन ‘उगता भारत’ गतांक से आगे… इसी तरह जोंक (जलौका) बड़े-बड़े तूफानों को बतला देती है। आप एक गिलास में पानी भरिए और एक जोंक को उसमें […]

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देश विदेश

भारत रूस संबंधों की मजबूत डोरी ने खींची भविष्य की नई संभावनाओं की लकीर

ललित गर्ग – गाजियाबाद। ( ब्यूरो डेस्क ) भारत-रूस की मैत्री को नये आयाम देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं राष्ट्रपति पूतिन ने न केवल मैत्री के धागों एवं द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूती दी है, बल्कि आर्थिक गतिविधियों को नये शिखर देने का प्रयास किया है। उनकी यह यात्रा दोनों देशों के लिये एक नए […]

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धर्म-अध्यात्म

आत्मा के कल्याण की कौन इच्छा करता है?

आत्मा के कल्याण की कौन इच्छा करता है? कौन हमारे मन में निवास करता है? हमारी सम्पदा का स्वामी कौन है? कौन परमात्मा को हृदय में धारण करता है? किसकी सम्पदा परमात्मा की महिमा के साथ चमकती है? उशिक्पावको वसुर्मानुषेषु वरेण्यो होताधायि विक्षु। दमूना गृहपतिर्दम आँ अग्निर्भुवद्रयिपती रयीणाम् ।। ऋग्वेद मन्त्र 1.60.4 (कुल मन्त्र 693) […]

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राजनीति

केजरीवाल को जमानत के क्या हैं निहितार्थ

सुरेश हिंदुस्तानी  देश की राजधानी दिल्ली में शराब घोटाले को लेकर चल रही राजनीति ने अब एक नया मोड़ ले लिया है। इस मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को सर्वोच्च न्यायालय ने अंतरिम जमानत देकर जांच एजेंसी पर उठे संदेह के घेरे को और बड़ा कर दिया है। अरविन्द केजरीवाल को जमानत मिलने […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

महर्षि दयानंद जी की अपनी निर्बलताओं को दूर करने तथा दूसरों से गुणग्रहण करने में तत्परता •

पंडित आत्माराम अमृतसरी पंडित और विद्वान् शब्द का व्यावहारिक लक्षण यह है कि जो अपने बराबर के पंडित को मूर्ख और अपने से बढ़िया पंडित को उन्मत्त बतलाये। विद्वानों के हृदय फट जाते हैं और पंडितों की आंखें लाल हो जाती हैं जब वे अपने सामने किसी और पंडित के सम्बन्ध में प्रशंसा के शब्द […]

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धर्म-अध्यात्म

आत्मा शरीर में कहां रहता है? ___ भाग 18

18वीं किस्त छांदोग्य उपनिषद के आधार पर , हमारे इस शरीर को ब्रह्मपुर भी उपनिषद में कहा गया है। और उसमें जो अंतराकाश है उसको कमल ग्रह भी पुकारा गया है। पृष्ठ संख्या 787 “अब इस ब्रह्मपुर (शरीर) में जो यह सूक्ष्म कमल ग्रह है इसमें जो सूक्ष्म अंतराकाश है और उसमें जो स्थित है, […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत

मेरे मानस के राम : अध्याय 17 रावण के महल और अशोक वाटिका का चित्रण

जब हनुमान जी रावण की राजधानी लंका में पहुंच गए तो वहां उन्होंने बने हुए उत्तम राजप्रासाद के मध्य एक स्वच्छ और निर्मल विशाल भवन को देखा। अब उनकी एक ही इच्छा थी कि यहां पर सीता जी कहां हो सकती हैं ? उस भवन में इधर-उधर देखने पर हनुमान जी ने अनेक महिलाओं को […]

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