========== संसार में तीन सनातन, अनादि, अविनाशी, नित्य व अमर सत्तायें हैं। यह हैं ईश्वर, जीव और प्रकृति। अमृत उसे कहते हैं जिसकी मृत्यु न हो तथा जिसमें दुःख लेशमात्र न हो और आनन्द भरपूर हो। ईश्वर अजन्मा अर्थात् जन्म-मरण धर्म से रहित है। अतः ईश्वर मृत्यु के बन्धन से मुक्त होने के कारण अमृत […]
महीना: जुलाई 2024
गतांक से आगे20वीं किस्त। छांदोग्य उपनिषद के आधार पर पृष्ठ संख्या 814. प्रजापति और इंद्र की वार्ता। प्रजापति ने इंद्र से प्रश्न किया है। “हे इंद्र !यह शरीर निश्चय मरण धर्मा है, और मृत्यु से ग्रसा अर्थात ग्रसित है। यह शरीर उस अमर, शरीर रहित जीवात्मा का अधिष्ठान अर्थात निवास स्थान है। निश्चय शरीर के […]
============ परमात्मा ने संसार में जीवात्माओं के कर्मों के अनुसार अनेक प्राणी-योनियों को बनाया है। हमने अपने पिछले जन्म में आधे से अधिक शुभ व पुण्य कर्म किये थे, इसलिये ईश्वर की व्यवस्था से इस जन्म में हमें मनुष्य जन्म मिला है। जिन जीवात्माओं के हमसे अधिक अच्छे कर्म थे, उन्हें अच्छे माता-पिता व परिवार […]
मुंबई(विभूति फीचर्स) ।असली हिन्दू के तीन लक्षण हैं पहला जो गऊ सेवा करता हो , दूसरा जिसका विश्वास पुनर्जन्म में हो ,तीसरा अहं ब्रम्हास्मि। जो गऊ माँ को काटते हैं उसका मांस खाते हैं , बेचते हैं वे हिन्दू नहीं बल्कि पाप के भागी हैं।गऊ को माता क्यों कहा गया ? जैसे कोई लड़की ब्याही […]
आचार्य डॉ. राधेश्याम द्विवेदी नवधा भक्ति का जिक्र धर्मग्रंथों में दो युगों में किया गया है। सतयुग में प्रह्लाद ने पिता हिरण्यकशिपु से कहा था।प्रह्लाद जी द्वारा कही गयी नवधा भक्ति श्रीमद्भागवत पुराण के सातवें स्कंध के पांचवे अध्याय में है। इसके बाद त्रेतायुग में भगवान श्रीराम ने मां शबरी से नवधा भक्त के बारे […]
अंग्रेजों का यह इतिहास रहा है कि उन्होंने अपनी कुटिलता का प्रयोग करते हुए अपने प्रत्येक उपनिवेश को छोड़ते समय या तो उसका विभाजन किया या उसमें ऐसी कोई स्थानीय समस्या खड़ी की, जो उस देश के लिए आज तक जी का जंजाल बनी हुई है। भारत छोड़ते समय अंग्रेजों ने न केवल भारत का […]
परमात्मा की प्रशंसा और महिमागान के क्या परिणाम होते हैं? परमात्मा की प्रशंसा और महिमा के लिए मूल लक्षण क्या हैं? गौरवशाली सम्पदा क्या है? तं त्वा वयं पतिमग्ने रयीणां प्र शंसामो मतिभिर्गोतमासः। आशुं न वाजम्भरं मर्जयन्तः प्रातर्मक्षू धियावसुर्जगम्यात् ।। ऋग्वेद मन्त्र 1.60.5 (कुल मन्त्र 694) (तम्) उसको (त्वा) आप (वयम्) हम (पतिम्) स्वामी और […]
इयं या परमेष्ठिनी वाग्देवी ब्रह्मसंशिता । ययैव ससृजे घोरं तयैव शान्तिरस्तु न: ।। ―(अथर्व० १९/९/३) (इयम्) यह (या) जो (परमेष्ठिनी) सर्वोत्कृष्ट परमात्मा में ठहरने वाली (देवी) उत्तम गुण वाली (वाक्) वाणी (ब्रह्मसंशिता) वेदज्ञान से तीक्ष्ण की गई है और (यया) जिसके द्वारा (घोरम्) घोर पाप (ससृजे) उत्पन्न हुआ है (तया) उस वाणी के द्वारा (एव) […]
-पंकज सक्सेना कोई भी विचार जो १४०० साल पुराना है, उसे हमें लम्बी सभ्यतागत दृष्टि में ही समझना होगा। जिस तरह भारत एक सभ्यतागत राष्ट्र है, उसी तरह इस्लाम एक सभ्यतागत शक्ति है और इसे उसी प्रकार से समझा जाना चाहिए। मुसलमान यह कहते हैं कि ‘इस्लाम कभी नहीं हारा’। दुखद बात यह है कि […]
बबन मिश्रा अजमेर, राजस्थान राजस्थान में शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए राज्य सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सभी सरकारी स्कूलों का जिला स्तर पर निगरानी करने का फैसला किया है. इसके लिए प्रशासन और विभागीय अधिकारियों को जिला प्रभारी नियुक्त किया गया है. जो अपने-अपने प्रभारित जिले में प्रतिमाह दो […]