जिस वस्तु को जानना सरल हो, उसे स्थूल कहते हैं। अर्थात जो वस्तु जल्दी समझ में आ जाए, उसका ज्ञान ‘स्थूल ज्ञान’ कहलाता है। “संसार की वस्तुओं का ज्ञान हमें आंखों से तथा अन्य इंद्रियों से शीघ्र प्राप्त हो जाता है, और बहुत स्पष्ट भी होता है। इसका अर्थ यह मानना चाहिए कि संसार स्थूल […]
महीना: जुलाई 2024
स्वामी रामभद्राचार्य जी, कुलाधिपति जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय चित्रकूट, उत्तर प्रदेश विषय – महर्षि दयानन्द के विरुद्ध असत्य टिप्पणी करने के सन्दर्भ में। आदरणीय स्वामी जी, सादर नमस्ते। आशा है आप सकुशल होंगे। दिनांक 20 जुलाई 2024 को आपके यूट्यूब चैनल पर से एक वीडियो अपलोड हुआ है जिसका शीर्षक है -“आर्य समाज के संस्थापक […]
लेखक- डॉ० भवानीलाल भारतीय प्रस्तोता- प्रियांशु सेठ, डॉ० विवेक आर्य सहयोगी- डॉ० ब्रजेश गौतमजी नवजागरण काल के अपने अनेक समसामयिक महापुरुषों की तुलना में स्वामी दयानन्द की दूरगामी दृष्टि तथा अग्रगामिता कुछ विशिष्ट थी। त्रिविध एषणाओं का त्याग करने वाला यह संन्यासी जहां धर्म और अध्यात्म के क्षेत्र में नवीन जागृति और परिवर्तन लाने का […]
सच्चाई तथा भांग कैसे दिमाग पर चढ़ती है यह जानने के लिए पढे यह लेख। भारतवर्ष में भांग के पौधे से अधिकांश जन परिचित है। पहाड़ हो या मैदान, उत्तर भारत हो या दक्षिण भारत भांग का पौधा खेतों की मेड, नदी -नालों’ जलीय स्रोतों के किनारे दिख ही जाता है। संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी में […]
आज हम सभी हिन्दुओं को यह बात स्वीकार करना पड़ेगी कि वैदिक सनातन हिन्दू धर्म की जितनी हानि विधर्मियों ने की है , उस से अधिक हानि स्वयंभू अवतार , तथाकथित संत और बाबाओं द्वारा की जा रही है , ऐसे लोग हिन्दुओं को वेद , उपनिषद् , गीता जैसे प्राचीन प्रामाणिक ग्रंथो की शिक्षा […]
कुल मिलाकर चार प्रकार का ज्ञान होता है। मिथ्या ज्ञान, संशयात्मक ज्ञान, शाब्दिक ज्ञान, और तत्त्वज्ञान। 1- मिथ्या ज्ञान उसे कहते हैं, जब वस्तु कुछ और हो और व्यक्ति उसे समझता कुछ और हो। जैसे रस्सी को सांप समझना। यह मिथ्या ज्ञान है। 2- संशयात्मक ज्ञान उसे कहते हैं, जब वस्तु समझ में ही नहीं […]
(के.एस. तूफान – विभूति फीचर्स) साहित्य समाज का दर्पण है। जिस प्रकार का समाज होगा, साहित्य भी उसी प्रकार रचा जाएगा। दलित चेतना का काल हम रामायणकाल से ही मान सकते हैं, हालांकि उस समय दलितों के पक्ष में कोई खास नहीं लिखा गया और जो लिखा भी गया, वह आज की भांति न तो […]
*मुग़ल साम्राज्य की स्थापना करने वाला बाबर था। इस वंश ने भारत में 1526 ई. से लेकर 1857 ई. तक राज्य किया। 1857 ई. में इस वंश का अंतिम शासक बहादुरशाह जफर था। यद्यपि औरंगजेब की मृत्यु होने के पश्चात् 1707 ई. में ही यह साम्राज्य लड़खड़ा गया था। उसके सही 30 वर्ष पश्चात् […]
हमारा विनाश उस समय से शुरू हुआ था, जब हरित क्रांति के नाम पर देश में रासायनिक खेती की शुरूआत हुई और हमारा पौष्टिक वर्धक, शुद्ध भोजन विष युक्त कर दिया गया। हमारा विनाश उस दिन शुरू हुआ था, जिस दिन देश में जर्सी गाय लायी गई और भारतीय स्वदेशी गाय का अमृत रूपी दूध […]
स्वीडन में शरणार्थी मुस्लिमो ने आतंक मचा रखा है। वही इसी स्वीडन में एक गांव सनातन धर्म का भी है,जो शांति,सद्भाव और पशु पक्षी प्रेमी है। प्रकृति को संवार रहा है। स्वीडन की सरकार दोनो में अंतर स्पष्ट देख रही है और इस्लाम के 15 में से 13 मदरसों को पूरी तरह बैन कर […]