आर्य समाज ने शिक्षा, समाज सुधार और राष्ट्रीयता के प्रचार प्रसार में अपना अप्रतिम योगदान दिया। स्वदेशी आंदोलन का मुख्य सूत्रधार आर्य समाज ही बना । जिन लोगों ने किसी भी कारण से आर्य वैदिक धर्म को त्याग कर धर्म परिवर्तन कर लिया था, उनकी शुद्धि का कार्य भी आर्य समाज ने आरंभ किया। स्वामी […]
Month: May 2024
मदर टेरेसा सेवा का मुखौटा सत्य अगर कड़वा भी हो तो भी वह सत्य ही कहलाता है। संत का उद्देश्य पक्षपात रहित मानवता की भलाई है। 24 मई 1931 को वे कलकत्ता आई और यही की होकर रह गई। कोलकाता आने पर धन की उगाही करने के लिए मदर टेरेसा ने अपनी मार्केटिंग आरम्भ करी। […]
दिव्य अग्रवाल (लेखक व विचारक) मजहब की ताकत या क्रूरता यह कैसी सोच है जो इस्लामिक आतंक का पर्याय बन चुकी है । एक सन्देश जो इस्लामिक कट्टरपंथी से ग्रसित सैकड़ो संस्थानों में प्रेषित किया गया जिस कारण सभ्य समाज असहाय होकर सड़को पर आ गया अपनों बच्चो के जीवन के प्रति चिंतित होकर ईश्वर […]
आचार्य डॉ. राधे श्याम द्विवेदी ब्रह्म देव जी की उत्पत्ति :- भारतीय दर्शन शास्त्र में ब्रह्मा जी का नाम के पीछे निर्गुण निराकार और सर्वव्यापी चेतन शक्ति के लिए ‘ब्रह्मा’ शब्द का प्रयोग बताया गया है। सभी गुणों से पूर्ण होने के कारण उन्हें ब्रह्मा नाम से पुकारा जाता है। शिवपुराण के अनुसार ब्रह्माजी अपने […]
** (सुभाष आनंद – विनायक फीचर्स) विकासशील देशों में बढ़ती विषमताओं ने युवा वर्ग में ऐसी सोच उत्पन्न कर दी है कि पढ़ाई खत्म होने के उपरांत वे जल्दी ही ऐसा कोई काम करें जिससे वे शीघ्र अमीर बन जाए। काम कितना भी बेहूदा एवं खतरनाक क्यों ना हो उन्हें करने से कोई परहेज नहीं […]
अपने दिन को आनंदित बनाइए
प्रातःकाल शुभ दिवस आरंभ कीजिए , अपने दिन को आनंदित बनाइए , स्फूर्ति जगाइए और जीवन के संकट को भगाइए तथा स्वस्थ तन व मन पाइए । प्रातरग्निं प्रातरिन्द्रं हवामहे प्रातर्मित्रावरुणा प्रातरश्विना। प्रातर्भगं पूषणं ब्रह्मणस्पतिं प्रातः सोममुत रुद्रं हुवेम॥ [*हे स्त्रीपुरुषो ! जैसे हम विद्वान् उपदेशक लोग (प्रातः) प्रभात वेला में (अग्निम्) स्वप्रकाशस्वरूप (प्रातः) (इन्द्रम्) […]
दि० ३ अगस्त १८७५ को पूना में दिए गए अपने भाषण में महर्षि दयानन्द ने बड़े मार्मिक शब्दों में कहा – “हमारे भाई शास्त्री लोग हठ करते हैं, यह हम सबका दुर्भाग्य है । हमारे भरत-खण्ड देश से वेदों का बहुत-सा धर्म लुप्त हो गया है और रहा-सहा हम लोगों के प्रमाद से नष्ट होता […]
भागवत कथा रहस्य* भाग 3
* भागवत कथा कहने वाले कथाकार कुछ कहानियों का सहारा लेते हैं,लेकिन ये कहानियां वास्तविक घटना नहीं,अपनी बात को प्रभावी ढंग से कहने के लिए होती है।परंतु इसका दुखद पहलू ये है की ये कथाकार इस मनघड़ंत कहानी को ही सच बताने लगते है और सच सामने नही लाते। गजेंद्र मोक्ष कथा गजेंद्र मोक्ष की […]
“और अन्त में जब कई एक भद्र पुरुषों को ऐसा प्रतीत हुआ कि अब समाज की स्थापना होती ही नहीं, तब कुछ धर्मात्माओं ने मिलकर राजमान्य राज्य श्री पानाचन्द आनन्द जी पारेख को नियत किए हुए नियमों (राजकोट में निर्धारित 26 नियम) पर विचारने और उनको ठीक करने का काम सौंप दिया। फिर जब ठीक […]
लोगों के गहरे हृदय से हम सम्मान कैसे प्राप्त करें? सभी सन्त वनों अर्थात् तपस्या के लिए भक्तिपूर्ण एकान्तवास को क्यों चुनते हैं? अपने मन में वनों जैसी अवस्था कैसे पैदा करें? स इद्वने नमस्युभिर्वचस्यते चारु जनेषु प्रबु्रवाण इन्द्रियम्। वृषा छन्दुर्भवति हर्यतो वृषा क्षेमेण धेनां मघवा यदिन्वति।। ऋग्वेद मन्त्र 1.55.4 (स इत्) केवल वह (वने) […]