Categories
विविधा

भारतीय संस्कृति और पारिवारिक जीवन

जितेंद्र रघुवंशी – विनायक फीचर्स भारतीय संस्कृति ने पारिवारिक जीवन को एक उच्च स्तरीय योगाभ्यास कहा है। योग साधना का अर्थ है अपरे सीमित और संकुचित व्यक्तित्व को असीम और विराट चेतना से एकाकार कर देना। गृहस्थाश्रम सीमित से असीम की ओर अग्रसर होने के क्रमश: आगे बढ़ाने का अभ्यास करने के लिए ऋषियों द्वारा […]

Categories
राजनीति

राख होती सियासत और समाज की संवेदनशीलता

(राकेश अचल- विभूति फीचर्स) मैं देश में चौतरफा राजनीति के चक्रवात की बढ़ती असंवेदनशीलता देखकर हैरान हूँ। राजनीति के चक्रवात में जो उजड़ेगा सो उजड़ेगा लेकिन सबसे पहले संवेदनशीलता राख होती दिखाई दे रही है । सत्ता हासिल करने के लिए बैचेन हमारे नेताओं को न राजकोट के गेम जोन में राख हुई जिंदगियों को […]

Categories
कविता

*’ तपन ‘*

‘ तपन ‘ सुलगती धरती यहाँ पर तप रहा आकाश है गर्म हवाओं के थपेड़े तपन बेहिसाब है आग बरसी है धरा पर प्रचंड सूर्य ताप से झुलसते सब पेड़-पौधे सूनी दिखती राह है तीक्ष्ण अनल सूर्य का या, क्रोध हो इन्सान का अति होती जब किसी की हो पीड़ादायक सर्वदा गहन उष्ण ताप से […]

Categories
आज का चिंतन

हमारा दिव्य लक्ष्य क्या होना चाहिए?

जब कोई व्यक्ति अपनी गौरवशाली सम्पदा का प्रयोग उचित प्रकार से करता है और उपभोक्तावाद से ऊपर उठ जाता है तो क्या होता है? हमारा दिव्य लक्ष्य क्या होना चाहिए? क्या सर्वोच्च दिव्यता हमारे दिव्य लक्ष्यों में हमारी सहायता करती है? अध ते विश्वमनु हासदिष्टय आपो निम्नेव सवना हविष्मतः। यत्पर्वते न समशीत हर्यत इन्द्रस्य वज्रः […]

Categories
भारतीय संस्कृति

बुद्ध-पूर्णिमा और गौतम बुध* 2

* डॉ डी के गर्ग निवेदन: ये लेख 6 भागो में है ,पूरा पढ़े / इसमें विभिन्न विद्वानों के द्वारा समय समय पर लिखे गए लेखो की मदद ली गयी है । कृपया अपने विचार बताये। भाग- 2 –बुद्ध से सम्बंधित कुछ प्रश्नोत्तरी : साभार- विद्यासागर वर्मा ,पूर्व राजदूत प्रश्न १ : क्या महात्मा बुद्ध […]

Categories
संपादकीय

भारत की 18 लोकसभाओं के चुनाव और उनका संक्षिप्त इतिहास, भाग 9 , 9वीं लोकसभा – 1989 – 1991

वी0पी0 सिंह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे, जो कि 31 दिसंबर 1984 को राजीव गांधी के मंत्रिमंडल में वित्त मंत्री के रूप में सम्मिलित हुए थे। वह बहुत ही महत्वाकांक्षी व्यक्तित्व थे। प्रारंभ से ही उनकी दृष्टि प्रधानमंत्री के पद पर लगी हुई थी। कांग्रेस में प्रधानमंत्री का पद एक परिवार से अलग किसी दूसरे […]

Categories
Uncategorised

ज्ञानेंद्रियों और कर्मेंद्रियों का हमारे शरीर में महत्व!

आइए इस पर विस्तृत रूप में विचार करते हैं कि कर्म-इंद्रियां एवं ज्ञानेंद्रियां कितनी है ? उनकी उत्पत्ति कैसे हुई? उनके नाम क्या है? तथा इनके हमारे शरीर में स्थान कहां-कहां हैं ? उनकी क्रियाएं क्या क्या है? इसको पहले कवित्व में निम्न प्रकार देखते हैं। पांचो भूतों को पृथक -पृथक, रजगुणों को पा करके। […]

Categories
स्वास्थ्य

युवाओं की गंभीर होती हालत*

(आर. सूर्य कुमारी – विनायक फीचर्स) पुणे में एक सत्रह वर्षीय युवा द्वारा शराब के नशे में गाड़ी चलाकर दो युवा इंजीनियरों को मार देने का प्रकरण इन दिनों काफी चर्चित है। शराब के नशे में मदहोश इस युवा ने दो और की जीवनलीला समाप्त कर दी। आए दिन ऐसे हादसे की खबरें हमें सुनाई […]

Categories
Uncategorised

धन और शांति का मनुष्य जीवन में महत्व

व्यक्ति को धन भी चाहिए और शांति भी। धन कमाने के लिए वह पढ़ाई करता है, ऊंची ऊंची डिग्रियां लेता है, ऊंचे-ऊंचे पदों की प्राप्ति करता है। “फिर धन कमा कर वह भोजन वस्त्र मकान मोटर गाड़ी तथा अन्य भी बहुत से जीवन ज़रूरी सामान खरीद लेता है। बहुत सा सम्मान भी उसे मिल जाता […]

Categories
भारतीय संस्कृति

सूर्यवंशी राजा विजय के जीवन के कुछ पहलू

आचार्य डॉ राधे श्याम द्विवेदी अयोध्या के सूर्यवंशी राजा हरिशचंद्र के पुत्र का नाम रोहित था। रोहित के पुत्र को हरित के नाम से जाना जाता था, और हरित का पुत्र चम्पा था। चम्पा का पुत्र सुदेव था। उसका पुत्र विजय था।चम्प से सुदेव और उसका पुत्र विजय हुआ। इसी राजा के कार्यकाल में आदि […]

Exit mobile version