एक ईसाई बंधु ने आर्य विचारों पर यह आक्षेप किया है कि ईश्वर जब कर्मों का फल देता है तो वह न्यायकारी तो हो सकता है, परन्तु, दयालु कैसे कहला सकता है? क्योंकि दया का अर्थ है दण्ड दिये बिना क्षमा कर देना और न्याय का अर्थ है। कर्मों के फल को बिना घटाए या […]
