मुझे पता है तुम्हें शहर की भागदौड़ से मेल नहीं, इसीलिए ऋतुराज हमेशा तुम गांवों में आते हो, गीत फागुनी कौन सुनाए, यहां समय की लाचारी है, नौकरियों में बंधक हैं सब, हँसना गाना तक भारी है, यहां आम की बौर कहां तुम जिन छावोँ में आते हो, इसीलिए ऋतुराज हमेशा तुम गांवों में आते […]
Month: February 2024
#डॉविवेकआर्य आज जय भीम, जय मीम का नारा लगाने वाले दलित भाइयों को आज के कुछ राजनेता कठपुतली के समान प्रयोग कर रहे हैं। यह मानसिक गुलामी का लक्षण है। दलित-मुस्लिम गठजोड़ के रूप में बहकाना भी इसी कड़ी का भाग हैं। दलित समाज में संत रविदास का नाम प्रमुख समाज सुधारकों के रूप में […]
लेखक आर्य सागर खारी 🖋️। मिथक (1) शराब के सेवन से अच्छी नींद आती है। समाधान दुनिया भर के तंत्रिका विज्ञानियों के अनुसार शराब से जो नींद आती है वह असली नींद ना होकर एक कृत्रिम नींद होती है नींद का आभास मात्र होती है जैसे ही शराब का नशा टूटता है व्यक्ति बेचैन होता […]
समान नागरिक संहिता और जजिया कर
हम अपनी इस लेखमाला के प्रारंभ में ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि प्राचीन काल में मंदिर संपूर्ण देश में धर्मचिंतन और राष्ट्रचिंतन के केंद्र हुआ करते थे । उस समय भारतवर्ष का कोई भी आर्य राजा मंदिरों से किसी प्रकार का कर नहीं लिया करता था। इसके विपरीत वह अपनी ओर से ऐसी […]
धर्म के नाम पर ठगी का धंधा
सन्दर्भ-स्वामी दयानन्द कृत सत्यार्थ प्रकाश- 11 वां समुल्लास) (हमारे देश में साधुओं के नाम पर मुफ्तखोरों की फौज बढ़ती जाती है। स्वामी दयानन्द इन मुफ्तखोरों के प्रबल विरोधी थे। स्वामी जी चाहते थे की गृहस्थ आदि इन सन्यासी के वस्त्र धारण करने वाले ठगों से बचे। सत्यार्थ प्रकाश के 11 समुल्लास में इनकी ठगी की […]
========= हमारा यह संसार स्वतः नहीं बना और न ही यह पौरुषेय रचना है। इस संसार को मनुष्य अकेले व अनेक मिलकर भी नहीं बना सकते। हमारा यह सूर्य, चन्द्र, पृथिवी, सौर मण्डल तथा ब्रह्माण्ड अपौरुषेय और ईश्वर से रचित हैं। प्रश्न किया जा सकता है कि परमात्मा ने यह संसार क्यों बनाया है? परमात्मा […]
गरुड़, बागेश्वर उत्तराखंड “कुछ समय पहले जब मैं गर्भवती थी तो गांव में स्वास्थ्य की कोई उचित सुविधा नहीं थी, जिसकी वजह से मुझे प्रसव पीड़ा के दौरान अपने गांव से 48 किमी दूर बागेश्वर के जिला अस्पताल जाना पड़ा था. इस दौरान मुझे जो कष्ट हुआ, वो पीड़ा मै कभी नही भूल सकती। अस्पताल […]
१) वेद को सत्य विद्याओं का ग्रन्थ सिद्ध किया। २) वेदों की ओर लौटों का नारा दिया। ३) वेद को ईश्वरोक्त संविधान बताया। ४) वेद को मानव जाति का धर्म ग्रंथ बताया। ५) वेदों की पुनः स्थापना की। ६) अशुद्ध वेद भाष्य को शुद्ध किया। ७) वेदों में इतिहास नहीं है यह बताया। ८) वेदों […]
महर्षि दयानन्द सरस्वती जी की अद्भुत धारणा शक्ति… महर्षि दयानन्द जी की धारणा शक्ति अपूर्व थी, उन्होंने एक बार पं० भगवान वल्लभ से सुश्रुत संहिता जो हजारों पृष्ठ का ग्रन्थ था, मंगवाकर देखा, और एक दो दिन में ही उस पर इतना अधिकार कर लिया कि प्रश्न उठने पर प्रत्येक, प्रसंग का वाक्य उद्धत करने […]
भारत का प्राचीन इतिहास गौरवशाली रहा है। भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था, क्योंकि उस खंडकाल में भारत के ग्रामीण इलाकों में नागरिक सम्पन्न थे एवं हंसी खुशी अपना जीवन यापन कर रहे थे। एक ब्रिटिश अर्थशास्त्री एवं इतिहासकार श्री एंगस मेडिसन ने अपने शोधग्रंथ में बताया है कि एक ईसवी से लेकर […]