सुभाषचन्द्र बोस जन्म जयन्ती 23 जनवरी, 2024 -ललित गर्ग- भारतीय इतिहास में सुभाष चंद्र बोस ऐसे महानायक हैं, जो किसी पहचान के मोहताज नहीं। नेताजी का नारा ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ आज भी भारवासियों के भीतर राष्ट्रभक्ति एवं राष्ट्रप्रेम की ज्वार पैदा करता है। अंग्रेजों की गुलामी से भारत को आजाद […]
Month: January 2024
बीमारी और आर्थिक तंगी से जूझता परिवार
तसनीम कौसर पुंछ, जम्मू “मुमताज अब तीन साल की है, यास्मीन चार साल की और इम्तियाज तथा नियाज पांच और सात साल के हैं। मैं अपने बच्चों से बहुत प्यार करता हूं। इसलिए एक मां की तरह उनका ख्याल रखता हूं। हालांकि उनकी मां अभी जीवित है, लेकिन वह बच्चों की परवरिश करने की स्थिति […]
वेद और वेद की कर्म फल व्यवस्था
वैदिक कर्मफल व्यवस्था सुख दुख का कारण मनुष्य के कर्म (काम या कार्य) हैं, ग्रह नहीं। मनुष्य जैसा काम करता है वैसा ही फल पाता है। ऐसा काम जिससे किसी का भला हुआ हो उसके बादले में ईष्वर की व्यवस्था से सुख प्राप्त होता है और ऐसा काम जिससे किसी का बुरा हुआ हो उसके […]
हमारे शरीर में सप्तर्षियों का स्थान कहाँ-कहाँ पर है? आईये, इसका अध्ययन यजुर्वेद, अथर्ववेद सत्यार्थ प्रकाश वैदिक संपदा एवं संध्योपासन विधि आदि आर्ष साहित्य का संहत, समेकित एवं तुलनात्मक अध्ययन के अनुसार निम्न प्रकार करते हैं। सप्त ऋषि प्रतिहिता:शरीरे सप्त रक्षन्ति सदमप्रमादं । सप्ताप: स्वपतो लोकमीयुस्तत्र जागृतों अस्वपनजौ सत्रसदौ च देवौ। यजुर्वेद 34 /55 पदार्थ- […]
* एक बार एक मौलाना ने कहा था कि’आप ईश्वर,जीव और प्रकृति को अनादि और अनंत मानते हैं और साथ ही यह भी कहते हैं,कि ईश्वर इस सृष्टि की रचना प्रकृति से करता है।यदि ऐसा मान लिया जाये तो फिर ईश्वर और मनुष्य के कार्यों में कोई विषेश अन्तर दृष्टिगोचर नहीं होता। यदि आप किसी […]
(ये लेखमाला हम पं. रघुनंदन शर्मा जी की ‘वैदिक संपत्ति” नामक पुस्तक के आधार पर सुधि पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहें हैं। प्रस्तुतिः देवेन्द्र सिंह आर्य (चेयरमैन ‘उगता भारत’) गतांक से आगे…… प्रजा के द्वारा ऐसे राजा को चुनने के लिए वेद उपदेश करते हैं कि- आ त्वाहार्षमन्तरेधि ध्रुवस्तिष्ठाविचाचलिः । विशस्त्वा सर्वा वाञ्छन्तु मा […]
आत्मा और परमात्मा, का नरतन हैं गेह ।
मानव जीवन का लक्ष्य क्या है ? :- आत्मा और परमात्मा, का नरतन हैं गेह । नर से नारायण बनो, इसलिए मिली से देह॥2526॥ तत्वार्थ : नर से नारायण बनने से अभिप्राय है जो परमपिता परमात्मा के दिव्य गुण है उन्हें अपने चित्त में धारण करो ताकि तुम भी प्रभु के तद् रूप हो जाओ […]
समान नागरिक संहिता और आर्य समाज, भाग 1
भारत में प्रत्येक राष्ट्रवासी को ( नागरिक नहीं) समान अधिकार प्राप्त हों और प्रत्येक व्यक्ति अपनी मानसिक, शारीरिक और आत्मिक उन्नति कर सके , इसके लिए ऋषियों ने तप किया। स्वामी दयानंद जी महाराज भारत के आधुनिक इतिहास के ऐसे पहले महानायक हैं जिन्होंने तप को राष्ट्र का आधार बनाया। उन्होंने इस बात को गंभीरता […]
-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। आज हम आर्यसमाज धामावाला, देहरादून के रविवारीय सत्संग में सम्मिलित हुए। समाज में प्रातः 8.30 बजे से आर्यसमाज के पुरोहित श्री पं. विद्यापति शास्त्री जी के पौरोहित्य में यज्ञ हुआ। यज्ञ की समाप्ति के पश्चात पं. विद्यापति जी द्वारा भजन प्रस्तुत किया गया। सामूहिक प्रार्थना भी सम्पन्न हुई। आर्यसमाज में आजकल […]
सरदार मनजीत सिंह – विभूति फीचर्स सन् 1740 में नवाब गाजीउद्दीन खान ने चार गेटों के अंदर एक सराय बनायी थी। ये चार गेट थे दिल्ली गेट, सियानी गेट, डसना गेट एवं जवाहर गेट, शाम को ये चारों गेट बंद हो जाते थे। इन चार दरवाजों के अंदर तब मात्र बीस कमरे हुआ करते थे […]