* मा नः स्तेन ईशतः | (यजुर्वेद १/१) भ्रष्ट व चोर लोग हम पर शासन न करें | वयं तुभ्यं बलिहृतः स्याम | (अथर्व० १२.१.६२) हम सब मातृभूमि के लिए बलिदान देने वाले हों । यतेमहि स्वराज्ये । (ऋ० ५.६६.६) हम स्वराज्य के लिए सदा यत्न करें । धन्वना सर्वाः प्रदिशो जयेम | (यजु० २९.३९) […]
वेदों में राष्ट्रवाद*
