राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जी (1886-1964) की ‘भारत-भारती’ से कौन हिन्दीप्रेमी परिचित नहीं है? ‘भारत-भारती’, गुप्त जी की सर्वाधिक प्रसिद्ध काव्यकृति है जो विक्रम संवत् 1969 (1912-13) में पहली बार प्रकाशित हुई थी और अब तक इसके पचासों संस्करण निकल चुके हैं। एक समय था जब ‘भारत-भारती’ के पद्य प्रत्येक हिन्दीभाषी की जिह्वा पर थे। भारतीय […]
महीना: सितम्बर 2023
11 लेखक आर्य सागर खारी 🖋️ (जगतगुरु महर्षि दयानंद सरस्वती जी की 200 वी जयंती के उपलक्ष्य में 200 लेखों की लेखमाला के क्रम में आर्य जनों के अवलोकनार्थ लेख संख्या11) दंडी जी के द्वारा सार्वभौम सभा की स्थापना के वैचारिक आग्रह , पाठशाला में अध्यापन कराने, पंडितों के साथ शास्त्रार्थ करने देशी राजाओं से […]
प्रह्लाद सबनानी वैश्विक पटल पर भारत के एक आर्थिक शक्ति के रूप में उभरने को कुछ पश्चिमी देश पचा नहीं पा रहे हैं क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत ने वर्ष 2014 के बाद से इन्हीं पश्चिमी देशों को सकल घरेलू उत्पाद के मामले में पीछे छोड़ा है। अभी हाल ही में ‘प्यू रिसर्च सेंटर’ नामक […]
डॉ. आशीष वशिष्ठ विपक्षी गठबंधन को तीन सवालों के जवाब जल्द से जल्द ढूँढ़ने होंगे विपक्षी गठबंधन इंडिया की तीसरी बैठक हाल ही देश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले महानगर मुंबई में संपन्न हुई। विपक्षी गठबंधन की ये तीसरी बैठक थी। पहली बैठक जून में पटना में, जबकि दूसरी बैठक जुलाई में बेंगलुरु में […]
डा० शिबन कृष्ण रैणा {’सुदामा-चरित’ परमान्द की प्रसिद्ध रचना है और इस में वर्णित यह पद (पंक्तियाँ) आज तक मुझे याद हैं।श्रीकृष्ण जन्म-प्रसंग को कवि ने यों वर्णित किया है: “गटिमंज गाशाव चान्ये ज्यनय जय जय जय दीवकी नंदनय।” (तेरे जन्म लेने पर अंधकार प्रकाश में बदल गया। हे दवकी-नंदन! तेरी जय-जयकार हो।) परमानन्द की […]
प्रवीण गुगनानी, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार में राजभाषा सलाहकार संदर्भ: श्रीकृष्ण जन्मभूमि – श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर जितनी प्रासंगिक परस्पर बधाई है, उतनी ही प्रासंगिक और सामयिक श्री कृष्ण जन्मभूमि की चर्चा भी है. हिंदू-मुस्लिम एकता और सौहाद्र, सद्भाव के कथित चिंतकों और गंगा-जमुनी संस्कृति का फटा ढोल पीटने वालो के लिए तो यह अति […]
226 नाच दिखाके शांत हो , करे नर्तकी रोज । प्रकृति पीछे हटे , हो जाता जब मोक्ष।। हो जाता जब मोक्ष, जगत रचा ईश्वर ने। जीवों का कल्याण हो, भाव रखा ईश्वर ने।। स्वभाव जैसा जीव का, वही रचाता रास । अपनी अपनी साधना,अपना अपना नाच।। 227 तीन, पांच ,सोलह जुड़ें, संख्या है चौबीस […]
तमिलनाडु प्रोग्रेसिव राइटर्स एंड आर्टिस्ट एसोसिएशन के ‘सनातन उन्मूलन सम्मेलन’ पर 2 अगस्त को चेन्नई में आयोजित हुई एक बैठक में तमिलनाडु राज्य के एक मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने अपने वक्तव्य में सनातन धर्म की तुलना कोरोना, डेंगू और मलेरिया आदि से करके अपनी विषैली भाषा में कहा कि “सनातन धर्म सामाजिक न्याय के विरुद्ध […]
• स्वामी दयानंद सरस्वती शरीरधारी थे, उनके जीवनकाल में लिए गए उनके कुछ फोटो भी उपलब्ध हैं; इसलिए उनके चित्र, मूर्ति, स्टेच्यू आदि का निर्माण करना संभव है. उन्होंने मुम्बई में आदेश दिया था कि – मेरी तस्वीर को आर्यसमाज में मत लगाना. उन्होंने ऐसा आदेश संभवत: इसलिए दिया होगा कि एक तो वे व्यक्तिपूजा […]
(जगतगुरू महर्षि दयानंद सरस्वती जी की 200 वी जयंती के उपलक्ष्य में 200 लेखों की लेखमाला के क्रम में आर्य जनों के अवलोकनार्थ लेख संख्या 9) प्रज्ञा चक्षु दंडी स्वामी विरजानन्द जी को ‘सार्वभौम सभा’ के गठन व उसके प्रथम विद्ववत सम्मेलन का आश्वासन देकर जयपुरपति राम सिंह द्वितीय ने गंभीर ध्यान आश्वासन को कार्य […]