डॉ डी के गर्ग 3. धूनी रमाना सामान्य तौर पर धूनी रमाना शब्द का अर्थ किसी बाबा ,साधु को लेकर समझते है जो आग के आगे ज्यादातर बैठे रहते है और उनकी दिनचर्या का ये हिस्सा भी हो जाता है। सच क्या है, यज्ञ करने वाले को यज्ञिक कहते है।कुछ लोगों को यज्ञ अतिप्रिय होता […]
महीना: सितम्बर 2023
प्रो. संजय द्विवेदी मातृभाषा वैयक्तिक और पारिवारिक पृष्ठभूमि का बोध कराती है। समाज को स्वदेशी भाव-बोध से सम्मिलित कराते हृए वैश्विक धरातल पर राष्ट्रीय स्वाभिमान की विशिष्ट पहचान दिलाती है। किसी भी देश का विकास तभी संभव है, जब उसके पास एक सशक्त भाषा हो। हिंदी एक सशक्त भाषा है। इसकी ताकत पूरा विश्व मानता […]
सुरेश हिंदुस्तानी वर्तमान में पाकिस्तान के कई प्रांतों में भारतीयता की झलक देखने को मिल रही है। इसलिए कहा जा सकता है कि पाकिस्तान स्वाभाविक रूप से आज भी भारत का ही अंग है। पाकिस्तान ने बार-बार कश्मीर बोला, भारत ने हमेशा सहन किया। वर्तमान में पाकिस्तान में जिस प्रकार के स्वर मुखरित हो रहे […]
प्रत्येक राष्ट्र जीवित रहने के लिए अपने ऐसे प्रतीकों की खोज करता है और उनके प्रति समर्पित होकर रहता है। जिनके भीतर राष्ट्रभक्ति होती है ऐसे लोग भूख प्यास सहन कर सकते हैं, रोग और शोक को सहन कर सकते हैं, गरीबी – फटेहाली और भूखमरी को भी सहन कर सकते हैं पर उन्हें अपने […]
लेखक :- डॉ रणजीत सिंह पुस्तक :- पंजाब का हिन्दी रक्षा आंदोलन प्रस्तुति :- अमित सिवाहा पूर्वी पंजाब ( भारत ) प्रान्त में हुए ‘ हिन्दी रक्षा आन्दोलन ‘ का सूत्रपात आर्यसमाज के नेतृत्व में हुआ । अन्य हिन्दू सम्प्रदायों के होते हुए भी आर्यसमाज ने इसमें शीर्षभूमिका क्यों निभाई ? इस प्रश्न का उत्तर […]
* Dr D K Garg सहयोग:आचार्य राहुलदेव,दिल्ली यह तो आप स्वीकार करते है की भारत देश अतीत में सोने की चिड़िया और विश्व गुरु के नाम से जाना जाता रहा है। हमारे ऋषि मुनि विज्ञान , अध्यात्म ,चिकित्सा और शिक्षा के क्षेत्र में विश्व गुरु रहे है। चाणक्य, आर्यभट्ट, शुश्रुत,चरक, धनवंतरी, अत्रि ऋषि, गौतम , […]
लेख संख्या 18* लेखक आर्य सागर खारी 🖋️। महर्षि दयानंद सरस्वती की 200 वीं जयंती के उपलक्ष्य में 200 लेखों की लेखमाला के क्रम में आर्य जनों के अवलोकनार्थ लेख संख्या 18। गुरु के पास से विदा होने के समय स्वामी दयानंद के पास यह वस्तुएं थी।1) उनके पास संस्कृत व्याकरण दर्शनों का पांडित्य था। […]
डॉ. रमेश ठाकुर वैसे, देखा जाए तो हिंदी समाज खुद हिंदी की दुर्दशा का सबसे बड़ा कारण है। उसका पाखंड है, उसका दोगलापन और उसका उनींदापन? ये सच है कि किसी संस्कृति की उन्नति उसके समाज की तरक्की का आईना होती है। मगर इस मायने में हिंदी समाज बड़ा विरोधाभासी है। भारत में रोजाना करीब […]
(नोट -कुछ दिनों पहले हैदराबाद निवासी हमारे प्रबुद्ध पाठक श्री विजय रेड्डी जी ने पूछा था कि क्या यहाँ के लोगों का हिन्दू नाम मुस्लिम हमलावरों ने रखा था ?उनको उत्तर केलिए हम अपने पुराने लेखों के अंश लेकर यह लेख दे रहे ,रेड्डी जी ” हिन्दू स्वराज्य स्वातंत्र्य महोद्यम ” नामकी संस्था के अध्यक्ष […]
देश के प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान से यह अपेक्षा की जाती है कि वह राष्ट्र के मूल्यों को जीवंत बनाए रखने के लिए उनके प्रति समर्पण का भाव दिखाएं और अपने विद्यार्थियों में राष्ट्रीय एकता और अखंडता को सुनिश्चित करने वाली बंधुता को बढ़ाने का हर संभव प्रयास करें। ऐसे प्रयासों में किसी भी प्रकार की […]