-स्व० श्री महात्मा हंसराज जी अपने ग्राम में मैंने केवल एक बार किसी वृद्ध व्यक्ति से सुना था कि लाहौर में एक साधु आया हुआ है, जो ईसाइयों से वेतन पाता है तथा हिन्दू धर्म के विरुद्ध उपदेश करता है। उस समय मुझे यह ज्ञात नहीं था कि यह ऋषि दयानन्द है तथा उनका उपदेश […]
मैं आर्य समाजी कैसे बना?
