==================== आचार्य विष्णु हरि सरस्वती हरियाणा के नूंह शहर में हिन्दुओं के कत्लेआम, हिन्दू महिलाओं के साथ ज्यादतियों और पुलिस थाना जलाने के विषय पर भाजपा के सांसद और केन्द्रीय मंत्री राव इन्द्र्रजीत सिंह का बयान घातक है, जहरीला है मुस्ल्मि परस्त है, मुस्लिम हिंसक आबादी को बचाने वाला है और हिन्दुओं को कश्मीर की […]
Month: August 2023
कृष्णानन्द सागर विश्व के बड़े-बड़े राजवंश केवल कुछ शताब्दियों तक ही चले और समाप्त हो गए, किन्तु भारत में कई राजवंश हजारों वर्षों तक चलते रहे हैं। सबसे लम्बा चलने वाला राजवंश रहा इक्ष्वाकु वंश, जो सतयुग, त्रेता तथा द्वापर तीन युगों तक चला। इसी वंश में मान्धाता, रघु व राम हुए। अन्तिम वंशज बृहद्बल […]
डॉ. दीप नारायण पाण्डेय कुछ हजार साल पहले की बात है। उत्तर भारत के घने जंगलों में आयुर्वेद की क्लास चल रही थी। इस सत्र में कुछ द्रव्यों की थेराप्यूटिक एफीकेसी पर विशेष चर्चा हो रही थी। हमेशा की तरह अग्निवेश ने अपने दिग्गज गुरु भगवान पुनर्वसु आत्रेय के सामने एक रोचक प्रश्न रखा: ”गुरु […]
कुंडलियां … 43, प्रेम गली देखी नहीं….
127 प्रेम गली देखी नहीं, करें प्रेम की बात। जिससे है परिचय नहीं, करते उसकी बात।। करते उसकी बात, और ना तनिक लजाते। जीवन करें बर्बाद , प्रेम को समझ न पाते।। हांसी आती मुझे देख, इन जग वालों का प्रेम। प्रेमदेवता बनके घूमें, पर समझ ना पाए प्रेम।। 128 मैंने पूछा री सड़क ! […]
प्रो. रामेश्वर मिश्र पंकज हिन्दू समाज विश्व का सर्वाधिक संगठित समाज है। हजारों वर्षों से इसके संगठन का स्वरूप गतिशील है। धर्मशास्त्रों में इस तथ्य का ही विवरण अंकित है। संगठित होने के साथ ही यह समतामूलक, न्यायनिष्ठ तथा सामंजस्यमूलक रहा है। इसी कारण टिका रहा है। हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार समाज की इकाइयाँ विविध […]
* डॉ डी के गर्ग *विशेष *:ये लेख ३ भाग में है -कृपया अपने विचार बताये और शेयर करें ताकि उत्साह बना रहे ,बाकि आपकी मर्जी भाग-1 पौराणिक मान्यता : – जहाँ शिवजी स्वयं प्रगट हुए थे उस शिवलिंग को ज्योतिर्लिंग कहते हैं। देशभर में 12 ज्योतिर्लिंग हैं।मान्यता है कि इन 12 जगहों पर शिव […]
लोकतंत्र में सरकार की तानाशाही को रोकने के लिए अनेक प्रबंध किए जाते हैं। यद्यपि सिरों की गिनती का खेल लोकतंत्र की वास्तविक पवित्र भावना को बिगाड़ देता है। किसी भी सरकार के विरुद्ध लाया जाने वाला अविश्वास प्रस्ताव एक ऐसा ही हथियार है, जिसे विपक्ष कभी भी अपनाकर सरकार को यह आभास करा सकता […]
गुंजन अग्रवाल संस्कृत-भाषा का शब्द ‘धर्म’ अत्यन्त उदात्त अर्थ रखता है। संस्कृत में अर्थग्रथित शब्द बनाने की अद्भुत क्षमता रही है। किन्तु उसका भी जैसा उत्कृष्ट उदाहरण ‘धर्म’ शब्द में मिलता है, वैसा अन्यत्र नहीं मिलता। भारतवर्ष ने जो कुछ सशक्त निर्माण-कार्य युग-युग में संपन्न किया है और कर रहा है, वह सब ‘धर्म’ है। […]
सनातन धर्म की शिक्षा भारत में भी कुछ विश्वविद्यालयों में प्रारंभ हो गई है। इसके साथ ही अब भारत की संस्कृति उस अभिशाप से बाहर निकलने लगी है, जो अभिशाप उसे साम्राज्यवाद इस्लामी और यूरोपीय साम्राज्यवाद के कारण लगा था। यह हम सभी का दायित्व है कि सनातन धर्म की शिक्षाओं को न केवल आत्मसात […]
ओ३म् “ हम मनुष्य इस कारण से हैं कि हम अपने मन व बुद्धि से चिन्तन व मनन कर सत्यासत्य का निर्णय करने सहित सत्य का ग्रहण एवं असत्य का त्याग कर सकते हैं वा करते हैं। यह कार्य पशु व पक्षी योनि के जीवात्मा नहीं कर सकते। इसका कारण यह है कि पशु व […]