133 स्थावर जंगम जगत का, सूर्य आत्मा होय। वेद यही बतला रहे, ना इसमें संशय कोय।। ना इसमें संशय कोय, जग विज्ञान से चलता। छुपके बैठा संचालक , इसमें चाबी भरता।। बिन सूर्य चल नहीं सकता, काम जगत का। कहा आत्मा वेद ने, स्थावर जंगम जगत का।। 134 प्रजापति यह यज्ञ है, सभी का पालनहार […]
कुंडलियां … 45 प्रजापति यह यज्ञ है …….
