Categories
इसलाम और शाकाहार

जन्नत का क्षेत्रफल और जनसंख्या !

विश्व के सभी धर्म आत्मा को अमर मानते हैं , और यह भी मानते हैं कि जीवन भर मनुष्य जो भी भले बुरे कर्म करता है ,मृत्यु के बाद उसकी आत्मा को उन कर्मों के फल भोगना पड़ते है , बुरे लोग नर्क जाते हैं , और भले लोग स्वर्ग में जाते हैं , हिन्दू […]

Categories
विधि-कानून

न्यायालयों की सुरक्षा और अपराध

प्रभुनाथ शुक्ल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश में स्वयं माफियाराज खत्म करने का दावा करते हैं। सरकार यह ढिंढोरा पीटती है कि राज्य से अपराध का समूल सफाया हो गया है। लेकिन तस्वीर इसके उलट है। अदालतें और जेल भी सुरक्षित नहीं है। लखनऊ के कौसरबाग़ की अदालत में हुईं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के माफिया […]

Categories
संपादकीय

हिंदू महासभा और आर्य समाज को अपना ग्रास बनाता आर0एस0एस0 ?

वीर सावरकर जी ने कहा था :–  आसिंधु सिंधु पर्यंता यस्य भारत भूमिका । पितृभू: पुण्यभूश्चैव सा वै हिंदू रीति स्मृता ।।  अर्थात जो इस पवित्र भारत भूमि को अपनी पुण्य भूमि और पितृभूमि मानता है , वह स्वाभाविक रूप से हिंदू है । मुसलमान और ईसाई इस भारत भूमि को अपनी भूमि तो मानते […]

Categories
संपादकीय

समान नागरिक संहिता की बाट जोहता देश

भारत के संविधान का अनुच्छेद 30 ए बहुत ही आपत्तिजनक है। इस संवैधानिक अनुच्छेद को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सरदार वल्लभ भाई पटेल की मृत्यु के पश्चात संविधान में ढंग से अर्थात चोरी से स्थापित करवाया था। इस पर संविधान सभा में खुलकर कोई बहस नहीं हुई थी , ना ही लोगों से किसी प्रकार […]

Categories
राजनीति

पीके की राजनीति में बिहार की बहार

सच्चिदानंद सच्चू आने वाले दिनों में बिहार में पलायन एक चुनावी मुद्दा भी बनेगा और जब मुद्दा बनेगा तो मुमकिन है कि पलायन को रोकने की दिशा में कोई पहल की जाए? यह पहल कितनी कारगर होगी, यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन इतना तो तय है कि इसमें अभी लंबा वक्त लगनेवाला है। ‘बिहार […]

Categories
भारतीय संस्कृति

ईश्वर का एक अन्य नाम विश्वनाथ*

सत्य की खोज Dr DK Garg एक प्रश्न सामने है की क्या बाबा विश्वनाथ भगवान है ? बिलकुल है जी, दूसरा प्रश्न क्या ये कोई अन्य दूसरे भगवान है जो गणेश,लक्ष्मी , शनि, ब्रहस्पति,शंकर आदि से अलग ईश्वर है?तो उत्तर है कि बिलकुल नहीं, क्या विश्वनाथ और शिव एक ही है ?हा बिलकुल, तो फिर […]

Categories
समाज

कैनवास पर जीवन के रंग बिखेरती दलित बस्ती की किशोरियां

अमृतांज इंदीवर मुजफ्फरपुर, बिहार बात जब बिहार में चित्रकला की आती है, तो मिथिला चित्रकला शैली के भित्ति चित्र व अरिपन का नाम जरूर आता है. मिथिला या मधुबनी चित्रकला एशिया के विभिन्न देशों में अपनी कलात्मकता और विशिष्ट शैली के लिए विख्यात है. यह चित्रकला बिहार के दरभंगा, पूर्णिया, सहरसा, मुजफ्फरपुर, मधुबनी एवं नेपाल […]

Categories
विविधा

लक्ष्यप्राप्ति का संकेत हैं बाधाएं

डॉ. दीपक आचार्य दुनिया का कोई भी कर्म ऐसा नहीं है जिसकी सफलता का रास्ता समस्याओं और परेशानियों से होकर न गुजरता हो। संसार में जो भी कर्म होते हैं उन्हें करने वालों का आत्मविश्वास और कर्म के प्रति अगाध निष्ठा ही वह प्रमुख कारक है जिसकी वजह से कर्म में सफलताओं को हासिल किया […]

Categories
हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

जातिवाद को मिटाने के हमारे पूर्वजों का एक विस्मृत प्रयास

#डॉविवेकआर्य 1926 में पंजाब में आद धर्म के नाम से अछूत समाज में एक मुहिम चली। इसे चलाने वाले मंगू राम, स्वामी शूद्रानन्द आदि थे। ये सभी दलित समाज से थे। स्वामी शूद्रानन्द का पूर्व नाम शिव चरन था। उनके पिता ने फगवाड़ा से जालंधर आकर जूते बनाने का कारखाना लगाया था। उन्होंने आर्यसमाज द्वारा […]

Categories
विश्वगुरू के रूप में भारत

भारत के 50 ऋषि वैज्ञानिक अध्याय – 50 राष्ट्र धर्म के संस्थापक आदि शंकराचार्य

सत्यकेतु विद्यालंकार अपनी पुस्तक ‘राजनीति शास्त्र’ के पृष्ठ 492 पर लिखते हैं-‘भारत में कभी सैकड़ों हजारों छोटे-छोटे राज्य थे। मालव, शिवि, क्षुद्रक, अरहट, आग्नेय आदि राज्य पंजाब में तथा शाक्य, वज्जि, मल्ल, मोरिय, बुलि आदि राज्य उत्तरी बिहार में थे। मगध के सम्राटों ने इन सबको जीतकर अपने अधीन किया। यदि इन सब राज्यों में […]

Exit mobile version