ओ३म् ऋषि दयानन्द (1825-1883) सच्चे ऋषि, योगी, वेदों के पारदर्शी विद्वान, ईश्वरभक्त, वेदभक्त, देशभक्त, सच्चे समाज सुधारक, वेदोद्धारक, वैदिकधर्म व संस्कृति के अपूर्व प्रचारक आदि अनेकानेक गुणों से सम्पन्न थे। 21 वर्ष की अवस्था होने पर वह सुख सुविधाओं से परिपूर्ण अपने माता-पिता का घर छोड़कर सच्चे शिव वा ईश्वर, आत्मज्ञान व मोक्ष के उपाय […]
Month: January 2023
विष्णु आख्यान, भाग – 6
Dr DK Garg *यज्ञो वै विष्णुः* यज्ञ को विष्णु क्यों कहा गया है? विष्लेषण ईश्वर के अनेक गुणवाचक नामों में से एक नाम है ‘‘यज्ञ‘‘ । (यज देवपूजा संगतिकरणदानेषु) इस धातु से ‘यज्ञ’ शब्द सिद्ध होता है। ‘यज्ञो वै विष्णुः’ यह ब्राह्मण ग्रन्थ का वचन है। ‘यो यजति विद्वद्भिरिज्यते वा स यज्ञः’ जो सब जगत् […]
प्रवीण गुगनानी, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार मे राजभाषा सलाहकार “तोड़ दूंगा ये सारे बुत ए खुदा पहले यह तो बता तुझको इनसे इतनी जलन क्यों है। आए हैं कहां से ये बुत तेरे ही बनाए हुए पत्थरों और मिट्टियों से पहले यह तो बता की उन पत्थरों और मिट्टियों में क्या तू नही है?” किसी […]
ओ३म् ’ मनुष्यों के अनेक कर्तव्यों में से एक कर्तव्य वेदों के सत्यस्वरूप को जानना व उनका नियमित स्वाध्याय करना है। वेदों का स्वाध्याय मनुष्य का कर्तव्य इसलिये है कि वेद संसार का सबसे पुराना व प्रथम ज्ञान है। यह वेदज्ञान मनुष्यों द्वारा अपने पुरुषार्थ से अर्जित ज्ञान नहीं है अपितु सृष्टि के आरम्भ में […]
@ कमलेश पांडेय/वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार सरल और टिकाऊ विकास के लिए ‘ग्लोबल साउथ’ का वैश्विक एजेंडा क्या होना चाहिए, इस पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काफी गम्भीर दिखाई देते हैं और वे चाहते हैं कि तीसरी दुनिया के विकासशील देश भी उनके साथ कदमताल भरें। वैसे तो विकसित देशों के सामने वो अक्सर विकासशील […]
आर्य सागर खारी🖋️ आज उत्तर प्रदेश सहित आसपास के राज्यों में खुला छुटे हुए पशु एक बड़ी समस्या बनकर उभरे हैं खेत खलियान से लेकर राजमार्गों तक स्वच्छंद घूमते पशुओं के समूह आपको दिख जाएंगे| गोवंश की बदहाली इसमें किसी से छुपी नहीं है गौमाता राजमार्गों पर चोटिल हो रही है तो कहीं ट्रेन की […]
गुहिल वंश का वास्तविक संस्थापक गुहिलादित्य या गुहिल को गुहिल वंश का संस्थापक माना जाता है । पर अपने शौर्य और पराक्रम से अपनी वीरता की धाक जमाने वाला बप्पा रावल ही गुहिल वंश का वास्तविक संस्थापक है। बप्पा रावल के गुरु हारीत ऋषि थे। बप्पा रावल के द्वारा ही उदयपुर के उत्तर में कैलाशपुरी […]
ईश्वर पूजा का वैदिक स्वरूप-
कृष्ण कान्त वैदिक, देहरादून महर्षि के अनुसार ‘‘जो ज्ञानादि गुणवाले का यथायोग्य सत्कार करना है उसको पूजा कहते हैं।’ परमेश्वर की पूजा की क्या विधि हो सकती है? वेद कहता है कि परमात्मा आत्मिक, मानसिक, शारीरिक, सामाजिक आदि बलों का देने वाला है। इसी कारण से सकल देव एवं समस्त विश्व उसकी उपासना-पूजा- सेवा सत्कार, […]
कश्मीरी रामायण:रामावतारचारित
डाo शिबन कृष्ण रैणा कश्मीरी भाषा में रचित रामायणों की संख्या लगभग सात है। इनमें से सर्वाधिक लोकप्रिय ‘‘रामवतरचरित“ है। इसका रचनाकाल 1847 के आसपास माना जाता है और इसके रचयिता कुर्यग्राम/कश्मीर निवासी श्री प्रकाशराम हैं। सन् 1965 में जम्मू व कश्मीर प्रदेश की कल्चरल (साहित्य) अकादमी ने ‘रामावतारचरित’ को ‘लवकुश-चरित’ समेत एक ही जिल्द […]
विष्णु आख्यान* भाग – 5
Dr D K Garg राम को विष्णु क्यों कहा गया है? ईश्वर अवतार नही लेता ,ईश्वर सर्वशक्तिशाली है और समस्त भू- लोक में एक ही समय में विराजमान है , अवतारवाद पर बहुत कुछ लिखा जा चुका है । राम विष्णु के अवतार थे इस बात का उत्तर इसी वाक्य में छिपा है कि राम […]