कब-कब बंटा है भारत ….? यदि भारत के जंबूद्वीप पर किए गए शासन के दिनों को छोड़ दें तो प्राचीन भारत अपने स्वरूप में सन 1876 ई तक लगभग ज्यों का त्यों बना रहा। उस समय तक अफगानिस्तान, पाकिस्तान, श्री लंका, बर्मा, नेपाल, तिब्बत, भूटान, बांग्लादेश इत्यादि देशों का कोई अस्तित्व नही था। ये सारा […]
Month: December 2022
महरौनी ललितपुर। महर्षि दयानंद सरस्वती योग संस्थान महरौनी के तत्वावधान में विगत 2 वर्षों से युवा पीढ़ी को भारत और वैदिक धर्म के बारे में विशेष जानकारी देने के चल रहे अभियान के अंतर्गत “भारत को समझो” मिशन के राष्ट्रीय प्रणेता एवं सुप्रसिद्ध इतिहासकार डॉ राकेश कुमार आर्य ने कहा कि स्वामी श्रद्धानंद जी महाराज […]
शेफाली मार्टिन राजस्थान रंगों और रूपांकनों की भूमि, राजस्थान, चमकीले रंग के घाघरा और ओढ़नी पहने महिलाओं की छवि की कल्पना कराता है, जो अपने सिर पर बर्तनों को संतुलित कर पानी लाने के लिए रेगिस्तान में मीलों पैदल चलती हैं. इस काम का एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण हिस्सा इंडोनी का है. एक गोलाकार आधार […]
साधना के संदर्भ में – साधना स्वान्त सुखाय है, दिखावे की नहीं बात । वहीं साधना श्रेष्ठ है, जिसमें मन खो जात॥2107॥ दुष्ट और सज्जन के मन की तरंगों (Vibration) के संदर्भ में – मन को शान्ति देत है, साधु से मुलाक़ात । दुष्ट के दर्शन मात्र से, हृदय दुःखी हो जात॥2108॥ सज्जन की सलाह […]
यह टुटा फूटा सा उद्धम सिंह का स्मारक है, हमारे देश अपनी जान देने वाले का। यही स्थान उनका पुश्तैनी घर था. पंजाब में संगरूर जिले के सुनाम गांव में 26 दिसंबर 1899 में जन्मे ऊधम सिंह ने जलियांवाला बाग में अंग्रेजों द्वारा किए गए कत्लेआम का बदला लेने की प्रतिज्ञा की थी जिसे उन्होंने […]
मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी आजादी के बाद से लेकर 2003 तक (1977-1980 को छोड़ दिया जाए) लगातार सत्ता में रही। इस बीच कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं ने प्रदेश की बागडोर संभाली। लेकिन 10 साल लगातार बागडोर संभालने के बाद दिग्विजय सिंह जब 2003 में उमा भारती के करिश्माई नेतृत्व के कारण सत्ता से […]
मंडल, अध्याय और सूक्त आदि गतांक से आगे …. वेदों के छंद बड़े विचित्र हैं । प्रायः ऋग्वेद के मन्त्र जब पदपाठ अर्थात् सन्धिविच्छेद से पढ़े जाते हैं, तो शुद्ध प्रतीत होते हैं, पर जब ज्यों के त्यों संधि सहित पढ़े जाते हैं, तो घट बढ़ जाते हैं। इसी तरह यजुर्वेद अध्याय 40 के पर्यगाच्छुक्र० […]
परम पूज्यनीय श्री गुरुजी की राष्ट्र निर्माण दृष्टिकोण समझने और समझाने के लिए यह तर्कसंगत होगा कि सर्वप्रथम हम उस प्रेरणा पूंज, प्रकाश स्त्रोत और आभामंडल को स्पर्श करें, जहां से श्री गुरु जी के चिंतन को पृष्ठ पोषण मिला है। श्री गुरु जी की राष्ट्र निर्माण दृष्टि का सिंहावलोकन करते समय अनेक अवसर पर […]
राष्ट्रकूट राजवंश के बारे में भारत के बड़े राजवंशों में राष्ट्रकूट वंश का नाम भी सम्मिलित है। इस वंश के शासकों ने 735 ई0 से 982 ई0 से भी आगे तक तक शासन किया। राष्ट्रकूट साम्राज्य के केंद्र में पूरे कर्नाटक , महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के कुछ भाग सम्मिलित थे । एक ऐसा क्षेत्र जिस पर राष्ट्रकूटों ने दो शताब्दियों […]
अपनी कलम सम्हालो
हे सत्ता के गलियारों में, दुम हिलाने वालों। हे दरबारी सुविधाओं की, जूठन खाने वालों।। तेरे ही पूर्वज दुश्मन को, कलम बेचकर खाए। तेरे ही पूर्वज सदियों से, वतन बेचते आए।। कलम बिकी तब गोरी के साथी, जयचंद कहाए। कलम बिकी तब राणा साँगा, बाबर को बुलवाए।। बिकती कलमों ने पद्मिनियों को, कामातुर देखा। बिकती […]